सुप्रीम कोर्ट ने कोका कोला कंपनी की एक बॉटलिंग यूनिट पर 15 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और ए.एस. बोपन्ना की पीठ ने कहा, “2020 के मूल आवेदन-69 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, प्रिंसिपल बेंच द्वारा पारित 25 फरवरी, 2022 के फैसले और आदेश पर रोक रहेगी।”
उत्तर भारत से बाहर काम कर रही कोका कोला कंपनी की प्रमुख निर्माण इकाइयों में से एक एमबीएल, एनजीटी द्वारा लगभग 15 करोड़ रुपये के पर्यावरण मुआवजे का भुगतान करने की जिम्मेवारी से परेशान थी। ट्रिब्यूनल ने कहा कि बॉटलिंग प्लांट केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) के पर्यावरण कानून का उल्लंघन कर रहा था। वे आवश्यक एनओसी के बिना भूजल निकाल रहे थे। एनजीटी ने नोट किया था कि प्रोजेक्ट पोन्टेंट्स (पीपी) से प्राप्त पर्यावरणीय मुआवजे का उपयोग भूजल के पुनर्भरण, पर्यावरणीय क्षति की बहाली आदि के लिए किया जाना चाहिए।
ट्रिब्यूनल ने कहा था, “हमने एक संयुक्त समिति का गठन किया है, जिसमें एमओईएफ और सीसी (पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय), एमओजेएस (जल शक्ति मंत्रालय), सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड), सीजीडब्ल्यूए, यूपीजीडब्ल्यूडी (भूजल विभाग, उत्तर प्रदेश) और संबंधित जिलों के जिला मजिस्ट्रेट शामिल हैं। सीपीसीबी और सीजीडब्ल्यूए नोडल प्राधिकरण होंगे। समिति 2 महीने के भीतर बहाली योजना तैयार करेगी, अगले 6 महीनों में इसे निष्पादित करेगी और अनुपालन रिपोर्ट रजिस्ट्रार जनरल, एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच, नई दिल्ली को सौंपेगी।
एमबीएल और वरुण बेवरेजेज ने एनजीटी के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।
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