चांद पर क्या नई दुनिया बसाई जा सकती है। क्या चांद पर हमारे सपनों का जहां बसाया जा सकता है। ये बातें हमनें और आपने शेरो शायरियों में काफी बार सुनी हैं। लेकिन अब ये बातें कवियों और शायरों की कल्पनाओं से निकलकर हकीकत बनने जा रही हैं। दुनिया के बड़े बड़े साइंटिस्ट जो चांद पर जीवन की संभावना के लिए दिन रात रिसर्च करते रहते हैं इनकी कोशिशों को एक बहुत बड़ी सफलता हाथ लगी है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने चांद से लाई गई मिट्टी में कुछ बीज लगाए जिनमें से पौधे निकल आए हैं।
फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के खाद्य और कृषि विज्ञान संस्थान के साइंटिस्ट रॉबर्ट फेरल ने कहा है कि अपोलो लूनर रेजोलिथ यानी चांद से लाई गई मिट्टी में उगाए गए पौधे ट्रांसक्रिप्टोम पेश करते हैं, जो चांद को लेकर किए जा रहे तमाम रिसर्च को एक नई पॉजिटिव दिशा दे रहे हैं. इससे साबित होता है कि पौधे चांद की मिट्टी में सफलतापूर्वक अंकुरित और विकसित हो सकते हैं.’ रॉबर्ट फेरल और उनके सहयोगियों ने अपोलो 11 के नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन और दूसरे मूनवॉकर्स द्वारा लाई गई चंद्रमा की मिट्टी में अरबिडोप्सिस के बीज लगाए थे. इस मिट्टी में सारे बीज अंकुरित हो गए. क्या आप जानते हैं कि चांद की मिट्टी को लूनर रेजोलिथ कहते हैं. ये लूनर रेजोलिथ हमारी पृथ्वी पर पाई जाने वाली मिट्टी से मौलिक रूप से अलग होती है. अपोलो 11, 12 और 17 मिशनों के दौरान चांद से मिट्टी लाई गई थी, जिसपर साईंटिस्ट लगातार प्रयोग कर रहे थे। इससे पहले साल 2019 में जब चीन का चांग’ई-4 स्पेस क्राफ्ट चांद की सतह पर पहुंचा था, तब वह अपने साथ कॉटन सीड यानी कपास के बीज लेकर गया था. चीन के नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि चैंगे-4 मिशन ने कपास का पौधा उगाने में सफलता हासिल की और पहली बार चांद पर कोई पौधा उगाया गया है. है ना ये जानकारी very interesting…
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