शिमला, । हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ‘हरित और स्वच्छ हिमाचल’ के लक्ष्य हासिल करने की पहल के तहत शनिवार को सभी सरकारी विभागों को 1 जनवरी, 2024 से डीजल या पेट्रोल वाहन नहीं खरीदने का निर्देश दिया।
ऐसा बड़े पैमाने पर ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।
जरूरत पड़ने पर कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही कोई विभाग पेट्रोल या डीजल वाहन खरीद सकेगा।
‘व्यवस्था परिवर्तन’ का लक्ष्य रखते हुए मुख्यमंत्री ने अपने पहले बजट भाषण से राज्य के हरित आवरण के संरक्षण का संकल्प लिया और राज्य में ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रावधानों की घोषणा की थी।
सरकार के प्रयासों से सरकारी ई-वाहनों की संख्या 185 तक पहुंच गई है, जबकि राज्य में पंजीकृत निजी इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या 2,733 है।
मुख्यमंत्री ने भी पिछले कई महीनों से स्वयं ई-वाहन का उपयोग कर एक मिसाल कायम की है।
सुक्खू ने कहा, ”हमारी सरकार हिमाचल में ई-वाहनों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रही है। परिवहन विभाग अपने आधिकारिक वाहन बेड़े को ई-वाहनों से बदलने वाला पहला विभाग बन गया है और अन्य विभागों को भी इसका अनुसरण करना होगा।”
सभी विभाग चरणबद्ध तरीके से अपने ईंधन वाहनों को ई-वाहनों से बदलना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि ई-वाहनों का इस्तेमाल न केवल एक नई शुरुआत है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा, “हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को संरक्षित करना होगा और आज से ही पहल करनी होगी।”
विभागों में वाहनों की जरूरत को पूरा करने के लिए अनुबंध के आधार पर ई-टैक्सी चलाने की अनुमति दी गई है। 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना के तहत युवाओं को ई-टैक्सी परमिट की खरीद पर 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान कर प्रदान की जा रही है।
सरकार ई-वाहनों को चार्ज करने के लिए बुनियादी ढांचा विकसित कर रही है और इन्हें घर पर भी चार्ज किया जा सकता है। परिवहन विभाग ने राज्य में ई-वाहन चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए 54 स्थानों को अंतिम रूप दिया है, जिनमें से कुछ लगभग तैयार हैं।
ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए छह राजमार्गों को ग्रीन कॉरिडोर के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है।
इनके अलावा, हिमाचल सड़क परिवहन निगम (एचआरटीसी) की सभी डीजल बसों को चरणबद्ध तरीके से ई-बसों में परिवर्तित किया जा रहा है।
हाल ही में एक बैठक में ई-बस निर्माता कंपनियों से अनुरोध किया गया है कि वे ई-बसों का निर्माण करते समय हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियों को भी ध्यान में रखें।