पंजाब में लगने वाले 10 प्रोजेक्टों में करीब 2.75 लाख टन पराली का उपभोग होगा, जिससे पराली को आग लगाने की घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी। वहीं, इन प्रोजेक्टों के साथ 600 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रूप से और 1500 व्यक्तियों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगापंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी (पेडा) ने राज्य में 10 कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्रोजेक्ट लगाने के लिए हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के साथ समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत विभाग के सचिव डॉ. रवि भगत की मौजूदगी में पेडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अमरपाल सिंह और एचपीसीएल के कार्यकारी निदेशक (बायो-ईंधन और नवीकणीय) शुवेंदू गुप्ता ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।
600 लोगों को प्रत्यक्ष और 1500 को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा
गुप्ता ने बताया कि एचपीसीएल द्वारा शुरू में लगभग 600 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 10 सीबीजी प्रोजेक्ट स्थापित किए जाएंगे। इसके अलावा राज्य में और प्रोजेक्टों को स्थापित करने की संभावनाएं भी तलाशी जाएंगी। इन 10 सीबीजी प्लांटों के शुरू होने से सालाना 35,000 टन से अधिक बायोगैस और लगभग 8700 टन जैविक खाद के उत्पादन के साथ-साथ करीब 300 करोड़ रुपये सालाना रेवेन्यू भी जेनरेट होगा। इन प्रोजेक्टों के साथ 600 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रूप से और 1500 व्यक्तियों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
अन्य सीबीजी उत्पादकों को राज्य में निवेश के लिए न्योता देते हुए पंजाब के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि पंजाब सरकार की व्यापार समर्थक और पारदर्शी नीतियों ने राज्य में औद्योगिक विकास के लिए अनुकूल माहौल सृजन किया है। पंजाब में फसलीय अवशेष आधारित सीबीजी प्रोजेक्ट स्थापित करने की अथाह संभावनाएं मौजूद हैं
10 प्रोजेक्टों में ईंधन के तौर पर पराली का उपयोग
सीईओ डॉ. अमरपाल सिंह ने बताया कि इन 10 प्रोजेक्टों के शुरू होने से लगभग 1.10 लाख एकड़ क्षेत्रफल में पैदा होने वाली करीब 2.75 लाख टन पराली का उपभोग होगा, जिससे पराली को आग लगाने की घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी। इन प्रोजेक्टों से लगभग 5.00 लाख टन सालाना कार्बन डाईऑक्साइड और अन्य प्रदूषकों के निकास को रोका जाएगा, जोकि सालाना 83,000 पेड़ लगाने के बराबर है।