हिसार जिले के 10 किसानों पर जिला प्रशासन ने 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। ये किसान राज्य सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए धान की पराली जला रहे थे।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीडीए) के उप निदेशक डॉ. राजबीर सिंह ने बताया कि पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए ज़िले में निषेधाज्ञा जारी कर दी गई है। उन्होंने बताया कि ज़िला प्रशासन ने घोषणा की है कि इन आदेशों का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 223 और वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 19(4) के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
डीडीए ने कहा कि फसल कटाई के बाद पराली जलाते पकड़े जाने पर किसानों पर 30,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। इसके अलावा, किसान पोर्टल पर उनके नाम “लाल प्रविष्टि” के साथ दर्ज किए जाएँगे। उन्हें अगले दो वर्षों तक सरकारी मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अपनी उपज बेचने से भी रोक दिया जाएगा।
डॉ. सिंह ने बताया कि बार-बार जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद, उपग्रह निगरानी से हिसार ज़िले में अब तक पराली जलाने की 32 घटनाएँ सामने आई हैं। उन्होंने बताया कि सभी चिन्हित मामलों में कार्रवाई शुरू कर दी गई है और 10 किसानों पर कुल 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उनके ख़िलाफ़ एफआईआर भी दर्ज की गई है और उनके रिकॉर्ड में लाल प्रविष्टियाँ दर्ज की गई हैं।
डीडीए ने किसानों से पराली में आग न लगाने और धान की पराली और भूसे के निपटान के लिए वैज्ञानिक अवशेष प्रबंधन तकनीक अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने सुझाव दिया कि किसान रोटावेटर, हैप्पी सीडर या सुपर सीडर जैसी मशीनों का उपयोग करके पराली को वापस मिट्टी में मिला सकते हैं जिससे उर्वरता में सुधार होगा।
उन्होंने कहा कि बायोमास या ऊर्जा उत्पादन इकाइयों को पराली की गांठें उपलब्ध कराने जैसे वैकल्पिक तरीके भी हैं। उन्होंने बताया कि फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन करने वाले किसानों को हरियाणा सरकार द्वारा प्रति एकड़ 1,200 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।

