अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुनील चौहान की अदालत ने 2016 में गैंगवार में गुरुग्राम के शराब कारोबारी मनीष कुमार की हत्या के मामले में मंगलवार को 13 दोषियों को आजीवन कारावास (कठोर) की सजा सुनाई और सभी दोषियों पर 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया। मनीष जेल में बंद गैंगस्टर और पूर्व पार्षद बिंदर गुर्जर का बड़ा भाई था।
वह शराब का कारोबार करता था और शिव शक्ति वाइन्स नाम से शराब की दुकानों की एक श्रृंखला का मालिक था। 18 अक्टूबर, 2016 को मनीष अपने ड्राइवर और एक दोस्त के साथ अपनी कार में शराब की दुकानों से पैसे लेने निकला था। रात करीब 11 बजे, तीनों न्यू कॉलोनी के पास मनीष की एक शराब की दुकान पर पहुँचे, जहाँ कुछ अज्ञात बाइक सवारों ने उन पर अंधाधुंध गोलीबारी कर दी।
कार पर एक दर्जन से ज़्यादा गोलियाँ चलाई गईं। मनीष, उसके दोस्त और ड्राइवर को गोली लगने से घायल होने के बाद एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मनीष के पिता करण सिंह ने कहा कि उनके बेटे की हत्या पुरानी रंजिश में की गई और उन्होंने मारे गए गैंगस्टर संदीप गाडोली के परिवार का नाम लिया, जिसे 7 फ़रवरी, 2016 को गुड़गांव पुलिस ने मुंबई के अंधेरी स्थित एक होटल में गोली मार दी थी। बाद में गाडोली मामले में गैंगस्टर बिंदर गुज्जर को गिरफ्तार किया गया था।
करण की शिकायत पर गैंगस्टर संदीप गाडोली के दो भाइयों – ब्रह्म प्रकाश और कुलदीप – बहन सुदेश, गैंगस्टर कौशल, उसके भाई मनीष और सहयोगी अमित डागर और कई अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और शस्त्र अधिनियम के तहत शहर पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पुलिस ने इस मामले में 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान रोहतक निवासी राहुल पंडित, सचिन, सोमबीर, दीपक, मोनू और दिनेश, मारे गए गैंगस्टर संदीप गाडोली के भाई रविकांत, ब्रह्मप्रकाश और कुलदीप, गुरुग्राम निवासी जयबीर और लव शर्मा, नई दिल्ली निवासी रवि कुमार और झज्जर निवासी पवन कुमार के रूप में हुई है।
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ सभी आवश्यक साक्ष्य और गवाह एकत्र किए और आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दायर किया।
गुरुग्राम पुलिस के प्रवक्ता ने बताया, “अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुनील चौहान की अदालत ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए सबूतों और गवाहों के आधार पर सभी 13 आरोपियों को दोषी करार दिया और सभी को आजीवन कारावास (सश्रम कारावास) की सजा सुनाई। अदालत ने सभी दोषियों पर 50,000 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया।”