पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में आज राष्ट्रीय लोक अदालत में सूचीबद्ध 443 मामलों में से 143 का निपटारा किया गया, तथा 6,25,61,176 रुपये का मुआवजा दिलाया गया, जिनमें से अधिकतर मोटर दुर्घटना दावा मामले थे।
यह अभ्यास उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के मुख्य संरक्षक, मुख्य न्यायाधीश शील नागू और समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अनूपिंदर सिंह ग्रेवाल की देखरेख में आयोजित किया गया। निपटान योग्य मामलों की सुनवाई और पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण समाधान को बढ़ावा देने के लिए दस लोक अदालत पीठों का गठन किया गया था।
पीठों की अध्यक्षता न्यायमूर्ति संदीप मौदगिल, न्यायमूर्ति आलोक जैन, न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा, न्यायमूर्ति दीपिंदर सिंह नलवा, न्यायमूर्ति मनदीप पन्नू, न्यायमूर्ति अमरिंदर सिंह ग्रेवाल, न्यायमूर्ति प्रमोद गोयल, न्यायमूर्ति रूपिंदरजीत चहल, न्यायमूर्ति आराधना साहनी और न्यायमूर्ति रमेश कुमारी ने की।
कुल 443 मामलों में से 143 का निपटारा समझौते के माध्यम से सफलतापूर्वक किया गया। इनमें से अधिकांश मामले मोटर दुर्घटना दावों से संबंधित थे।
लोक अदालत, लंबित मामलों को कम करने और वैकल्पिक विवाद समाधान को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) की राष्ट्रव्यापी पहल का एक हिस्सा है। यह वादियों को लंबी मुकदमेबाजी से बचने के लिए एक लागत-प्रभावी और त्वरित मंच प्रदान करती है।
न्यायाधीशों, वकीलों, पक्षकारों और न्यायालय कर्मचारियों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त करते हुए उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति की सचिव स्वाति सहगल ने कहा कि भविष्य में और अधिक मामलों की पहचान की जाएगी ताकि लोक अदालतों के माध्यम से अधिक संख्या में मामलों का निपटारा किया जा सके।