पुनर्वास की प्रक्रिया से गुजर रहे 18 नशेड़ी कल रात यहां सरकारी गुरु गोविंद सिंह मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र से कथित तौर पर सुरक्षाकर्मियों पर काबू पाकर भाग निकले।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह पलायन कोई अचानक की गई घटना नहीं थी, बल्कि उनका एक “समन्वित प्रयास” था।
उनमें से सात को वापस लाया गया, जबकि अन्य अभी भी फरार हैं।
भागने वाले आठ लोगों के खिलाफ नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत मामले दर्ज हैं।
अधिकारियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए आंतरिक जांच शुरू करने का आश्वासन दिया है कि यह चूक कैसे हुई ताकि जवाबदेही तय की जा सके। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपायों पर भी विचार किया जा रहा है।
इस बीच, पुलिस अधीक्षक (डी) संदीप वडेरा ने कहा कि फरार लोगों का पता लगाने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा, “सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और किसी भी चूक की जांच की जा रही है।”
इस नशा मुक्ति केंद्र में करीब 72 नशेड़ी इलाज करा रहे हैं। इनमें से ज्यादातर की उम्र 20 से 35 साल के बीच है। इनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, इनमें से 40 लोगों को पुलिस ने मादक पदार्थ तस्करी या मादक पदार्थ सेवन के आरोप में गिरफ्तार किया था।
उच्चस्तरीय निरीक्षण के बाद हुई घटना
यह घटना मुख्यमंत्री भगवंत मान के मीडिया सलाहकार बलतेज सिंह पन्नू द्वारा फरीदकोट के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और उपायुक्त के साथ अस्पताल का दौरा करने के एक दिन बाद हुई।
हाई-प्रोफाइल दौरे के कुछ ही घंटों बाद इस तरह की घटना ने केंद्र की आंतरिक निगरानी और तैयारियों को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं।
मेडिकल कॉलेज में नशा मुक्ति केंद्र पंजाब सरकार के नशा विरोधी अभियान, “युद्ध नाशियां विरुद्ध” का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य उन नशा पीड़ितों का पुनर्वास करना है, जो स्वेच्छा से मादक द्रव्यों के सेवन की लत छोड़ने के लिए मदद मांगते हैं।
इस अभियान के तहत पुलिस राज्य भर में पुनर्वास सुविधाओं में नशे के आदी लोगों के प्रवेश की सुविधा भी प्रदान करती है।
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