March 28, 2024
Himachal Litrature

शिमला में अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव का आरम्भ

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अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ का शुभारम्भ गुरुवार को शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर के मुख्य सभागार में हुआ। यह 18 जून तक चलेगा। उत्सव में करीब 425 लेखक, कवि और कलाकार आए हैं। 15 देशों के लोग आए हैं। यहां 60 भाषाओं के लोग हैं।

राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया उद्घाटन

अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ गुरुवार को शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर के मुख्य सभागार में शुरू हुआ। यह 18 जून तक चलेगा। इसका उद्घाटन केंद्रीय संसदीय कार्य एवं संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शिमला जैसे ऐतिहासिक शहर में साहित्यिक चिंतन का बड़ा आयोजन है। इस मंथन से अमृत निकालेंगे। ऐसा उत्सव प्रतिवर्ष करने का प्रयास करेंगे। यह अपनी तरह का पहला आयोजन है। प्रथम साहित्य सम्मेलन शिमला में हो रहा है। बहुत से लोग पूछ रहे हैं कि ‘उन्मेष’ क्या है। इसका अर्थ प्रकट करना, सुबह-सुबह आंखें खोलना, खिलना, अभिव्यक्ति आदि को ‘उन्मेष’ कहते हैं। मेघवाल ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होनी चाहिए, लेकिन देश के खिलाफ कितना बोलना है, इसकी संविधान में कुछ बंदिशें भी हैं। इस बारे में महापुरुषों ने रास्ता दिखाया है। डॉ. बीआर आंबेडकर ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खूब लाभ उठाया, उसमें महात्मा फुले, मैक्समूलर की कई बातों को भी काटा, जबकि फुले को वह गुरु मानते थे। डॉ. आंबेडकर ने सिद्ध किया कि आर्य बाहर से नहीं आए। वेद पुराने हैं, उनमें कई बार आर्य शब्द आया है तो वे कहां बाहर से आए।

इस आयोजन में  करीब 425 लेखक, कवि और कलाकार आए हैं। 15 देशों के लोग आए हैं। यहां 60 भाषाओं के लोग हैं। ये आजादी का अमृत महोत्सव है। आदिवासी साहित्य सृजन भी विषय रहा। पद्म विभूषण और जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि साहित्य के बिना भारत ही नहीं, विश्व का हाहाकार मिटाया नहीं जा सकता है। साहित्य वह विधा है, जो जीवन से पशुता को दूर करता है। पशु उतना घातक नहीं होता, जितनी पशुता होती है। कार्यक्रम में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर कंबार और शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर विशेष रूप से मौजूद रहे।

 

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