April 20, 2024
National

अनीता बोस फाफ ने नेताजी के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों में विश्वास पर प्रकाश डाला

नई दिल्ली, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती की पूर्व संध्या पर उनकी बेटी अनीता बोस फाफ ने रविवार को एक बयान जारी कर अपने पिता के धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी सिद्धांतों पर आधारित भारत के ²ष्टिकोण को फिर से बताया। उन्होंने बताया कि क्यों उन्हें मदद के लिए फासीवादी सरकारों की ओर रुख करना पड़ा।

अनीता बोस फाफ ने अपने बयान में कहा, भले ही उनकी मृत्यु 77 साल से अधिक समय पहले विदेश में हुई थी और उनके अवशेष अभी भी एक विदेशी भूमि में हैं, उनके कई देशवासी और उनके देश की महिलाएं उन्हें नहीं भूली हैं।

फाफ ने कहा, सभी राजनीतिक दलों के नेता जो किसी भी विचारधारा के हों वह सब नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि देते हैं और भारत के लिए उनके बलिदान को याद करते हैं।

फाफ ने भारतीयों को याद दिलाया कि नेताजी को उसके लिए याद किया जाना चाहिए, जिसके लिए वे स्वतंत्र भारत के लिए खड़े थे और जिसकी परिकल्पना की गई थी।

इसके बाद उन्होंने नेताजी के आइडिया ऑफ इंडिया के चार स्तंभों की व्याख्या की।

अनीता बोस ने बताया कि भारत को एक आधुनिक राज्य बनना था, जिसका अन्य देश सम्मान करते थे। इसलिए सभी पुरुषों और महिलाओं के लिए शिक्षा उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थी। वह सभी धर्मों, जातियों और सभी सामाजिक स्तरों के सदस्यों के लिए पुरुषों और महिलाओं के लिए समान अधिकार, अवसर और कर्तव्यों में विश्वास करते थे।

एक व्यक्ति के रूप में वे एक धार्मिक व्यक्ति थे। हालांकि, वह चाहते थे कि स्वतंत्र भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बने जहां सभी धर्मों के सदस्य शांतिपूर्वक और परस्पर सम्मान के साथ रह सकें। इन मूल्यों का भारतीय राष्ट्रीय सेना में और उनके अपने कार्यों में अभ्यास किया गया था।

वह समाजवाद से प्रेरित एक राजनेता थे जिन्होंने भारत को एक आधुनिक, आज के संदर्भ में सामाजिक-लोकतांत्रिक राज्य बनने की कल्पना की, जिसमें सभी के कल्याण के लिए समान अवसर हों।

फाफ ने स्पष्ट किया, भारत की आजादी के अपने संघर्ष में उन्होंने खुद को उन फासीवादी देशों का सहयोग और समर्थन लेने के लिए मजबूर देखा, जो उनकी विचारधारा और उनके राजनीतिक एजेंडे को साझा नहीं करते थे।

टोक्यो के रेंकोजी मंदिर से नेताजी की अस्थियां घर वापस लाने की अपनी मांग को दोहराते हुए फाफ ने कहा, पुरुष और महिलाएं जो नेताजी से प्यार करते हैं और उनकी प्रशंसा करते हैं, वे अपने राजनीतिक और व्यक्तिगत कार्यों में उनके मूल्यों को बरकरार रखते हुए और भारत में उनके अवशेषों का स्वागत कर उन्हें सर्वश्रेष्ठ सम्मान दे सकते हैं। आइए हम नेताजी के अवशेष घर वापस लाएं!

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