छत्तीसगढ़ में 208 और नक्सलियों ने हथियार डाले हैं। इसके साथ ही, राज्य में पिछले तीन दिन में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या 405 पहुंच गई है। गुरुवार को छत्तीसगढ़ में 170 और बुधवार को 27 नक्सलियों ने सरेंडर किया था।
छत्तीसगढ़ में शुक्रवार को माओवादी गढ़ माने जाने वाले माड़ क्षेत्र के 208 नक्सलियों ने जगदलपुर, बस्तर जिले के रिजर्व पुलिस लाइन्स में आयोजित एक कार्यक्रम में आत्मसमर्पण किया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा वर्चुअली शामिल हुए।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में कई ऐसे हैं, जो सालों से घने जंगलों में सक्रिय थे। सभी नक्सली भारतीय संविधान की प्रति हाथ में लिए हुए कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। वे ‘पुनः मार्गेमें’ (पुनर्वास के माध्यम से नई जिंदगी) लिखे बैनर लेकर आए थे। इस दौरान उन्होंने 153 हथियार भी सुरक्षाबलों के हवाले किए, जिनमें 19 एके-47 राइफल, 17 एसएलआर, 23 इंसास राइफल, 1 इंसास लाइट मशीन गन, 36 .303 राइफल, 4 कार्बाइन, 11 बैरल ग्रेनेड लॉन्चर, 41 बारह बोर या सिंगल शॉट हथियार और 1 पिस्तौल शामिल थी।
आत्मसमर्पण करने वालों में 110 महिलाएं और 98 पुरुष शामिल हैं। इनमें कई उच्च पदों पर रहे नक्सली कैडर भी हैं।
मुख्य आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में रूपेश (सतीश उर्फ असन्ना) प्रमुख है, जो उत्तर-पश्चिम उप-क्षेत्रीय प्रभारी और सीपीआई (माओवादी) के शीर्ष कमांडरों में से एक है। 59 वर्षीय रूपेश को माओवादी सैन्य शाखा के खुफिया प्रमुख और विस्फोटक विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता था। उसने गुरुवार शाम अपने साथियों के साथ बीजापुर पुलिस मुख्यालय में प्रारंभिक आत्मसमर्पण किया था
मुख्यमंत्री साय ने इस आत्मसमर्पण को बस्तर में माओवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया और कहा कि इस क्षेत्र की असली ताकत यहां के लोगों की आत्मनिर्भरता, शिक्षा और सम्मान में निहित है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उत्तरी बस्तर और अबूझमाड़ को पूरी तरह से नक्सलवाद से मुक्त घोषित कर दिया गया है, जो हिंसा से आशा की ओर बदलाव का प्रतीक है
गौरतलब है कि भाजपा सरकार के दौरान पिछले 22 महीनों में 477 नक्सलियों को मार गिराया गया है। वहीं 1,785 को गिरफ्तार किया गया है और 2,110 ने आत्मसमर्पण किया है।