वॉशिंगटन, पाकिस्तानी मूल के 26/11 हमले के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा अब अमेरिकी कारागार एजेंसी के कब्जे में नहीं हैं।
अमेरिकी जेल ब्यूरो (बीओपी) की वेबसाइट के अनुसार, राणा को 8 अप्रैल से बीओपी की हिरासत से बाहर कर दिया गया है। इससे पहले तहव्वुर राणा को भारत को नहीं प्रत्यर्पित करने की अपील अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने इस सप्ताह खारिज कर दी थी।
राणा को लेकर अमेरिकी जेल ब्यूरो ने अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी दी कि वह अब 8 अप्रैल से उनकी हिरासत में नहीं है। हालांकि, यह पुष्टि नहीं हो पाई है कि वह भारत के लिए रवाना हो चुका है या नहीं।
इससे पहले इस सप्ताह अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी। कोर्ट ने उसकी अपील को खारिज कर दिया, जिसके बाद राणा की प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू हुई। अमेरिकी न्याय विभाग अब विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को पूरा करने में मदद कर रहा है।
राणा ने अपनी प्रत्यर्पण को रोकने के लिए यह दावा किया था कि उसे भारत में यातना दी जा सकती है। उसने एक ब्रिटिश मामले का हवाला दिया था, जिसमें एक व्यक्ति को भारत भेजने से रोका गया था क्योंकि उसे यातना का खतरा था। राणा के वकील, टिलमैन जे. फिनले, ने कहा कि अगर उस व्यक्ति को भारत नहीं भेजा जा सकता था, तो राणा को भी यातना का खतरा होगा और उसे भी प्रत्यर्पित नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, अमेरिकी न्यायाधीश एलेना कागन ने मार्च में राणा की अपील खारिज कर दी थी, और बाद में इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स के पास भेजा गया था। कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया और राणा की अपील को खारिज कर दिया।
राणा भारत में 2008 के मुंबई हमले के मामले में वांछित है। वह डेविड कोलमैन हेडली का सहयोगी था, जिसे अमेरिका में मुम्बई हमले के लक्ष्यों का सर्वेक्षण करने का दोषी ठहराया गया था। हालांकि, राणा को इन हमलों के लिए सीधे सहयोग करने का दोषी नहीं पाया गया, लेकिन अन्य आरोपों में उसे दोषी ठहराया गया और दस साल से अधिक की सजा दी गई।
कोविड-19 महामारी के कारण राणा की तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसे जेल से रिहा किया गया था। लेकिन बाद में उसे भारत को प्रत्यर्पित करने के लिए फिर से गिरफ्तार किया गया। डेविड हेडली को अमेरिकी अधिकारियों के साथ एक समझौते के तहत प्रत्यर्पण से राहत मिली थी, जबकि राणा की प्रत्यर्पण प्रक्रिया में कोई रुकावट नहीं आई और अब उसके सभी कानूनी विकल्प समाप्त हो गए हैं।
राणा के प्रत्यर्पण की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्हाइट हाउस दौरे के दौरान की थी। इसके बाद राणा ने सुप्रीम कोर्ट में प्रत्यर्पण को रोकने की कोशिश की, लेकिन अब उसकी सभी कानूनी अपीलों को खारिज कर दिया गया है।
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