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‘3 बड़े इवेंट्स और शानदार व्यवस्था’, अशोक पंडित ने मुंबई पुलिस का आभार जताया

'3 big events and great arrangements', Ashoke Pandit thanks Mumbai Police

फिल्म निर्माता-निर्देशक और भारतीय फिल्म और टेलीविजन निर्देशक संघ (आईएफटीडीए) के अध्यक्ष अशोक पंडित ने सोमवार को मुंबई पुलिस की जमकर तारीफ की। उन्होंने मुंबई पुलिस को ‘स्पिरिट ऑफ मुंबई’ बताया। उन्होंने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट में मुंबई पुलिस को दिल से धन्यवाद किया और शहर में एक ही दिन तीन बड़े इवेंट्स को शांतिपूर्वक संभालने के लिए मुंबई पुलिस की सराहना की।

अशोक पंडित ने पोस्ट में लिखा, “करोड़ों की आबादी वाले मुंबई शहर में एक ही दिन तीन बड़े आयोजन हुए, जिनमें लगभग पांच लाख लोग सड़कों पर थे, लेकिन एक भी अनहोनी नहीं हुई। यह संयोग से नहीं, बल्कि मुंबई पुलिस की मेहनत और प्लानिंग का नतीजा है।”

उन्होंने तीन प्रमुख आयोजनों का जिक्र करते हुए कहा, “वानखेड़े स्टेडियम में लियोनेल मेसी जैसे स्टार की मेजबानी, जहां दो लाख से अधिक दर्शक मौजूद थे। दूसरा, गेटवे ऑफ इंडिया पर हनुक्का उत्सव का आयोजन, जहां करीब 25 हजार लोग जुटे और पूरा इलाका रोशनी से जगमगा रहा था। तीसरा, आजाद मैदान में सुन्नी इज्तेमा, जिसमें एक लाख से ज्यादा लोग थे। अलग-अलग धर्म, अलग-अलग भावनाएं और बड़ी संख्या में भीड़ होने के बावजूद एक ही रक्षक, मुंबई पुलिस, ने सब कुछ बेहतरीन तरीके से संभाला।”

मुंबई पुलिस की शानदार ड्यूटी और समर्पण के लिए तारीफ करते हुए उन्होंने कहा, “जब लोग जश्न मना रहे थे, प्रार्थना कर रहे थे, फोटो खिंचवा रहे थे और खुशी-खुशी घर लौट रहे थे, तब मुंबई पुलिस ड्यूटी कर रही थी, ताकि शहर सुरक्षित रहे। यह सिर्फ एक दिन की ड्यूटी नहीं थी, बल्कि हफ्तों की प्लानिंग, कोऑर्डिनेशन, रूट मैपिंग, इंटेलिजेंस इनपुट, भीड़ का सिमुलेशन और रातों की नींद हराम करने वाली मेहनत का परिणाम था।”

अशोक पंडित ने यूनिफॉर्म के पीछे की असलियत पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महिला पुलिस अधिकारी घंटों खड़ी रहती हैं, उन्हें ठीक से वॉशरूम की सुविधा भी नहीं मिलती। कई अधिकारी डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और थकान से जूझते हैं, फिर भी अपनी पोस्ट नहीं छोड़ते। पैर सूजे रहते हैं, गला सूखता है, लेकिन दिमाग पूरी तरह अलर्ट रहता है। वे न शिकायत करते हैं, न तारीफ मांगते हैं, बस दिल से अपना फर्ज निभाते हैं। हम अक्सर ‘स्पिरिट ऑफ मुंबई’ की बात करते हैं, लेकिन वह आत्मा असल में खाकी यूनिफॉर्म में छिपी है, जो धूप-बारिश में खड़ी रहती है, दबाव झेलती है और तब भी मुस्कुराती है जब कोई देख नहीं रहा होता।

अशोक पंडित ने आगे कहा कि आज रुककर हम सबको मुंबई पुलिस का आभार जताना चाहिए। यह शहर इसलिए मुस्कुराता है क्योंकि पुलिस हर दिन पहरा देती है और हम सभी इसके लिए आभारी हैं।

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