September 17, 2024
Himachal

हिमाचल प्रदेश में 3 नवनिर्वाचित विधायकों ने शपथ ली; सीएम सुखविंदर सुक्खू और जय राम ठाकुर के बीच जुबानी जंग

शिमला, 23 जुलाई हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सोमवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर सहित तीन नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई। शपथ समारोह मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता, कैबिनेट मंत्रियों और अन्य सदस्यों की उपस्थिति में सदन के अंदर आयोजित किया गया।

शपथ लेने वाले सदस्यों में देहरा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक कमलेश ठाकुर, नालागढ़ सीट से हरदीप सिंह बावा और हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक आशीष शर्मा शामिल थे।

तीन विधायकों के शामिल होने के साथ ही सदन में सदस्यों की संख्या 68 हो गई है और कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 40 हो गई है, जबकि भाजपा के 28 सदस्य हैं।

हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार विधानसभा में कोई भी निर्दलीय विधायक नहीं है। इसके अलावा, यह पहली बार है जब एक दंपति, सीएम सुक्खू और उनकी पत्नी कमलेश ठाकुर, एक ही सदन के सदस्य हैं।

तीन सीटों – देहरा, नालागढ़ और हमीरपुर – के लिए उपचुनाव तीन निर्दलीय विधायकों – होशियार सिंह, केएल ठाकुर और आशीष शर्मा के इस्तीफे स्वीकार किए जाने के बाद 10 जुलाई को हुए थे।

27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में तीन निर्दलीयों के साथ छह कांग्रेस बागियों ने भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था। 22 मार्च को तीनों निर्दलीय विधायकों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया और अगले दिन भाजपा में शामिल हो गये।

हालांकि, स्पीकर ने 3 जून को उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। तीनों निर्दलीय विधायकों को भाजपा ने अपनी-अपनी सीटों से टिकट दिया था, लेकिन आशीष शर्मा अपनी सीट बचाने वाले एकमात्र विधायक थे, जबकि अन्य दो कांग्रेस प्रतिद्वंद्वियों से उपचुनाव हार गए।

यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए सीएम सुखू ने भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकार को अस्थिर करने की साजिश रचने का आरोप लगाया। अपने जवाब में विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार पर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके उपचुनाव जीतने का आरोप लगाया।

सुक्खू ने उम्मीद जताई कि भाजपा अब नकारात्मक राजनीति से दूर रहेगी और विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने में सरकार के साथ सहयोग करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राज्य की जनता ने धनबल के जरिए निर्वाचित सरकार को गिराने की राजनीति को नकार दिया है और भाजपा को आईना दिखा दिया है।’’

उन्होंने कहा कि भाजपा ने उपचुनावों को मजबूर किया और राजनीतिक उथल-पुथल पैदा की और परिणामस्वरूप, सरकार आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण बजट पारित करने के बाद विकासात्मक एजेंडे को लागू नहीं कर सकी।

राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के राज्य सरकार के संकल्प को दोहराते हुए सुक्खू ने कहा कि कांग्रेस सरकार जय राम ठाकुर के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार द्वारा लिए गए ऋणों के ब्याज और किश्तों का भुगतान करने के लिए ऋण लेने के लिए मजबूर हुई।

उन्होंने दावा किया कि सरकार की विवेकपूर्ण नीतियों के कारण राज्य की वित्तीय स्थिति में 20 प्रतिशत सुधार हुआ है। ठाकुर ने कहा, “भाजपा ने राज्यसभा सीट, मंडी लोकसभा सीट और नौ विधानसभा सीटों में से तीन सीटें छीन लीं, जिससे विधानसभा में उसकी संख्या 28 हो गई।”

उन्होंने कहा, “हम लोगों के फैसले को स्वीकार करते हैं, लेकिन यदि निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे के कारण हुए तीन उपचुनाव, छह उपचुनावों और लोकसभा चुनावों के साथ कराए गए होते तो नतीजे अलग होते।”

इससे पहले, बजट के दौरान कांग्रेस के पक्ष में वोट देने के लिए व्हिप का उल्लंघन करने पर कांग्रेस के बागियों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद छह विधानसभा सीटें रिक्त हो गई थीं।

इन कांग्रेस विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था। ठाकुर ने सरकार पर चुनावी वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया और कहा कि 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने के बजाय कांग्रेस ने समाज के एक बड़े वर्ग को पहले से मिल रही 125 यूनिट मुफ्त बिजली से वंचित कर दिया है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी वित्तीय स्थिति से अवगत थी और फिर भी उसने 2022 के विधानसभा चुनाव जीतने के लिए झूठे वादे किए। शपथ लेने के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए पहली बार विधायक बने कमलेश ठाकुर ने देहरा की जनता का धन्यवाद किया।

इस बीच, हिमाचल प्रदेश इकाई के पांच बार इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के अध्यक्ष और पहली बार विधायक बने बावा ने कहा कि नालागढ़ की सीमा पंजाब से लगती है और यहां कानून-व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार इस संबंध में प्रभावी कदम उठाएगी।

दो बार विधायक रहे भाजपा विधायक आशीष शर्मा ने कहा कि लोगों ने चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री के दुर्भावनापूर्ण प्रचार का करारा जवाब दिया है और कहा कि पिछले 128 महीनों में हमीरपुर में कोई विकास नहीं हुआ, जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।

उन्होंने कहा, ‘‘अब मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के मुद्दों को सदन में जोरदार तरीके से उठाऊंगा।’’

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