गाजा, हमास के 7 अक्टूबर को इजरायल के खिलाफ बड़े पैमाने पर हमला शुरू करने के बाद से हमास-इजरायल संघर्ष की कवरेज करने वाले कम से कम 39 पत्रकार और मीडियाकर्मी हिंसा में मारे गए हैं। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
न्यूयॉर्क स्थित गैर-लाभकारी संस्था ने 1992 में रिकॉर्ड रखना शुरू किया था। बुधवार को जारी अपनी अद्यतन रिपोर्ट में उसने दावा किया कि पिछले 32 साल में अक्टूबर 2023 वैश्विक स्तर पर पत्रकारों के लिए सबसे घातक महीना रहा।
मारे गए 39 मीडियाकर्मियों में से 34 फ़िलिस्तीनी, चार इज़रायली और एक लेबनानी था।
सीपीजे ने यह भी कहा कि अन्य आठ पत्रकार घायल हुए, तीन लापता हैं और 13 अन्य को गिरफ्तार किया गया है।
इस बीच, कई हमलों, धमकियों, साइबर हमलों, सेंसरशिप और पत्रकारों के परिवार के सदस्यों की हत्या की भी खबरें थीं।
सीपीजे ने आगे कहा कि वह अन्य पत्रकारों के मारे जाने, लापता होने, हिरासत में लेने, घायल होने या धमकाने और मीडिया कार्यालयों और पत्रकारों के घरों को नुकसान पहुंचाने की कई अपुष्ट रिपोर्टों की जांच कर रहा है।
रिपोर्ट में सीपीजे के मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका कार्यक्रम समन्वयक शेरिफ मंसूर के हवाले से कहा गया है, “सीपीजे इस बात पर जोर देता है कि पत्रकार संकट के समय महत्वपूर्ण काम करने वाले नागरिक हैं और उन्हें युद्धरत दलों द्वारा निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “इस हृदय विदारक संघर्ष को कवर करने के लिए पूरे क्षेत्र के पत्रकार महान बलिदान दे रहे हैं। विशेष रूप से गाजा में रहने वालों ने अभूतपूर्व क्षति उठाई है और अब भी उठा रहे हैं।उन्हें तेजी से खतरों का सामना करना पड़ रहा है।
“कई लोगों अपने सहकर्मियों, परिवारों और मीडिया केंद्रों को खो चुके हैं तथा कोई सुरक्षित आश्रय या निकास न होने के कारण सुरक्षा की तलाश में भाग गए हैं।”
युद्ध शुरू होने के बाद से गाजा में 10 हजार 569 लोग, इज़रायल में एक हजार 400 लोग और पश्चिमी तट में 150 लोग मारे गए हैं।