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फिरोजपुर जेल में 2024 तक 450 मोबाइल बरामद, ताजा बरामदगी से सुरक्षा चूक की जांच शुरू

 फिरोजपुर जेल में सुरक्षा में बड़ी चूक के चलते जेल अधीक्षक की शिकायत पर जेल अधिनियम की धारा 42 और 52ए के तहत मामला दर्ज किया गया है। जेल से 17 मोबाइल बरामद किए गए हैं, जिनमें से 3 लावारिस हैं। नियमित निरीक्षण के दौरान जेल अधिकारियों ने 11 कैदियों के पास से कई मोबाइल फोन और प्रतिबंधित पदार्थ बरामद किए।

17 मोबाइलों के अलावा, जब्त की गई अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं में 13 पैकेट चीनी खैनी (तंबाकू), 14 बंडल बीड़ी (हाथ से बनी सिगरेट) और 65 पाउच जर्दा (चबाने वाला तंबाकू) शामिल हैं।

चालू वर्ष के दौरान बरामद मोबाइलों की कुल संख्या, जिसमें आज के 17 मोबाइल शामिल हैं, अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं के अलावा 450 है। जनवरी में 71, फरवरी में 35, मार्च में 49, अप्रैल में 26, मई में 24, जून में 44, जुलाई में 58, अगस्त में 42, सितंबर में 44, अक्टूबर में 40 और नवंबर में 17 मोबाइल बरामद हुए।

इन प्रतिबंधित वस्तुओं के साथ पाए गए कैदियों में बस्ती भूटियांवाली से लाडी, चक महिनतान से सतनाम सिंह, ढाणी माघ सिंह से मेजर सिंह, मुसियावाली से गुरुचरण सिंह, डीएवी स्कूल के पास से दविंदर सैनी, धरमिंदर सिंह उर्फ ​​फौजी, ग्वाल मंडी से हरप्रीत सिंह, गुरभेज शामिल हैं। चोटाला तरनतारन के सिंह, लुबाद के रोहित, संजय गांधी कॉलोनी अमृतसर के चंचल और अज्ञात व्यक्ति।

 

सब-इंस्पेक्टर सरवन सिंह को जांच अधिकारी (आईओ) नियुक्त किया गया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि सख्त प्रोटोकॉल के बावजूद जेल में ये सामान कैसे तस्करी करके लाया गया। बताया जा रहा है कि अधिकारी संभावित चूक की जांच कर रहे हैं और निगरानी फुटेज की समीक्षा कर रहे हैं।

जेल में तस्करी की वस्तुओं पर अंकुश लगाने तथा भविष्य में उल्लंघनों को रोकने के लिए, प्राधिकारियों को प्रवेश बिंदुओं पर उन्नत स्क्रीनिंग मेटल डिटेक्टर लगाने होंगे, सतर्कता और निगरानी को मजबूत करना होगा, विशेष रूप से आगंतुकों के क्षेत्रों में, मुलाकात के अधिकारों को प्रतिबंधित करना होगा या तस्करी की घटनाओं में पूर्व में शामिल कैदियों के लिए केवल वीडियो-कॉल बैठक आयोजित करनी होगी, इसके अलावा सभी जेल कर्मचारियों के लिए तलाशी तकनीक और तस्करी का पता लगाने पर स्टाफ प्रशिक्षण को सुदृढ़ करने की व्यवस्था करनी होगी।

यह घटना जेलों में प्रतिबंधित वस्तुओं के प्रवेश को रोकने की चुनौती को उजागर करती है तथा जेल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

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