रोहतक जिले के सुनारिया गांव स्थित जिला जेल में लोक अदालत का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए), रोहतक की सचिव डॉ. तरन्नुम खान ने की।
सत्र के दौरान नौ आपराधिक मामले पेश किए गए, जिनमें से सात का तुरंत निपटारा कर दिया गया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इन मामलों से जुड़े कैदियों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया, तथा विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम की धारा 12(जी) के तहत कानूनी सहायता के उनके अधिकारों पर जोर दिया।
डॉ. खान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि संविधान के अनुच्छेद 22 के अनुसार, यह न्यायालय की जिम्मेदारी है कि वह जांच करे कि किसी अभियुक्त को कानूनी सहायता की आवश्यकता है या नहीं और यदि आवश्यक हो तो उसे सरकारी सहायता प्राप्त वकील उपलब्ध कराए। उन्होंने कैदियों को जेल के नियमों का पालन करने और अच्छा व्यवहार बनाए रखने की सलाह दी, उन्होंने कहा कि उनके आचरण से उन्हें जेल प्रशासन से पैरोल और अन्य सुविधाओं जैसे लाभ मिल सकते हैं।