November 28, 2024
Himachal

पालमपुर में विक्रम बत्रा वन विहार परियोजना 4 साल बाद भी अधर में लटकी हुई है

पालमपुर, 25 जून विक्रम बत्रा वन विहार का निर्माण पिछले चार वर्षों से अधर में लटका हुआ है, जबकि भारत सरकार ने राज्य वन विभाग को 4.10 करोड़ रुपए पहले ही स्वीकृत कर दिए हैं, जिसे सरकार ने परियोजना की निष्पादन एजेंसी बनाया हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के प्रयासों के बावजूद चार वर्षों में परियोजना के क्रियान्वयन में कोई प्रगति नहीं हुई।

पालमपुर के बाहरी इलाके में बिंद्रावन गांव में 50 एकड़ में फैला प्रस्तावित विक्रम बत्रा वन विहार कैप्टन विक्रम बत्रा को समर्पित एक प्रकृति पार्क होगा। प्रस्तावित पार्क पालमपुर से 3 किलोमीटर की दूरी पर बिंद्रावन के जंगल में बनाया जाएगा, जो मनोरंजन के लिए एक आदर्श स्थान है। विशाल धौलाधार पर्वतमालाओं के ऊपर स्थित इस प्रकृति पार्क की सुंदरता को विभिन्न प्रकार के पौधों और पेड़ों से बढ़ाया जाएगा। पार्क में विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों को आश्रय मिलेगा, जो इसके आकर्षण को और बढ़ा देंगे।

द ट्रिब्यून द्वारा जुटाई गई जानकारी से पता चला है कि वर्ष 2021 में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा स्वीकृत धनराशि प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ), पालमपुर के बैंक खाते में बिना उपयोग के पड़ी हुई है। पिछले चार वर्षों में इस परियोजना के लिए एक ईंट भी नहीं रखी गई। पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के बार-बार अनुरोध के बावजूद न तो पालमपुर नगर निगम और न ही पालमपुर डीएफओ ने उनके पत्रों का जवाब दिया।

द ट्रिब्यून से बातचीत में शांता कुमार ने कहा कि राज्य सरकार के रवैये से उन्हें गहरा सदमा लगा है। उन्होंने अफसोस जताया कि कैप्टन बत्रा की मां कमल कांत बत्रा तीन साल तक परियोजना के क्रियान्वयन का इंतजार करती रहीं, बाद में उनकी मृत्यु हो गई।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांगड़ा को राज्य की पर्यटन राजधानी बनाने की घोषणा की थी, लेकिन सरकारी अड़चनों के कारण नेचर पार्क जैसी परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को नौकरशाही पर लगाम कसनी चाहिए, जो सुक्खू सरकार को बदनाम कर रही है।

1999 में कारगिल युद्ध के दौरान 24 वर्ष की आयु में कैप्टन विक्रम बत्रा की मृत्यु हो गई। उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च युद्धकालीन वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र दिया गया।

अपने अनुकरणीय कारनामों के कारण, कैप्टन बत्रा को कई उपाधियों से सम्मानित किया गया। उन्हें प्यार से ‘द्रास का बाघ’, ‘कारगिल का शेर’, ‘कारगिल हीरो’ इत्यादि कहा जाता था। उनकी बहादुरी, जोश और दृढ़ संकल्प ने युद्ध लड़ने वाले सभी लोगों के लिए एक मानक स्थापित किया था। “ये दिल मांगे मोर” बत्रा का युद्ध नारा था।

अप्रयुक्त पड़ी निधियाँ बिंद्रावन गांव में 50 एकड़ में फैला प्रस्तावित वन विहार कैप्टन विक्रम बत्रा को समर्पित एक प्रकृति पार्क होगा
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा वर्ष 2021 में स्वीकृत धनराशि पालमपुर डीएफओ के बैंक खाते में बिना उपयोग के पड़ी है। पिछले चार वर्षों में परियोजना के लिए एक ईंट भी नहीं रखी गई

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