मुंबई, 25 जून । देश में लंबे समय से जाति आधारित जनगणना की मांग उठ रही है। लोकसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे को लेकर जमकर चर्चा हुई। कई राजनीतिक पार्टियों के नेता इसके पक्ष में हैं। अब फिर से इसकी चर्चा शुरू हो गई है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने मंगलवार को प्रेस वार्ता के दौरान जाति आधारित जनगणना को फिर से अपना मजबूत समर्थन दिया। उन्होंने कहा, आज की स्थिति में बदलाव लाने के लिए इसकी जरूरत है।
इस मामले को लेकर नीतीश कुमार के रुख पर उन्होंने कहा, वो कई दिनों से इस विचारधारा (जातिगत जनगणना) को समर्थन देते थे। उनकी सरकार ने बिहार में कुछ कदम उठाए हैं जो अच्छी बात है। नीतीश कुमार अब केंद्र सरकार का हिस्सा हैं। वो इस पर अपनी किस तरह की राय रखते हैं, इसका संदेश देश में जाएगा।
गौरतलब है कि देश की वर्तमान राजनीति में जातिगत जनगणना का मुद्दा छाया हुआ है। ओबीसी, एससी और एसटी की जनसंख्या के आधार पर आरक्षण देने की मांग उठ रही है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, जदयू, राजद, द्रमुक समेत कई विपक्षी पार्टियां इसके पक्ष में हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब आरजेडी के साथ सरकार में थे तब उन्होंने जातिगत जनगणना का समर्थन किया था। बिहार जातिगत आधारित जनगणना कराने वाला पहला राज्य भी बना था। नीतीश सरकार ने सर्वे के आंकड़े भी पेश किए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक 13 करोड़ की आबादी में अति पिछड़ा वर्ग 27.12 प्रतिशत, अत्यन्त पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत और सवर्ण 15.52 प्रतिशत हैं।
नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव से पहले आरजेडी से गठबंधन तोड़कर एनडीए में शामिल हो गए। अब प्रदेश और केंद्र में एनडीए की सरकार होने के बाद जातिगत जनगणना पर नीतीश कुमार का रुख सामने आना बाकी है।
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