नई दिल्ली, 6 जुलाई । भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में शामिल रहे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की शनिवार को 123वीं जयंती मनाई जा रही है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती को भारतीय जनता पार्टी बलिदान दिवस के रूप में मना रही है। इसी बीच मोदी आर्काइव नाम के सोशल मीडिया एक्स हैंडल से उनकी जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी एक दिलचस्प जानकारी शेयर की गई है।
इसमें बताया गया है कि कैसे पीएम मोदी ने लगातार श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आदर्शों और भारत को एकजुट करने के उनके प्रयासों का समर्थन किया है। इसके साथ ही इसमें बताया गया कि तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में रैली उसी स्थान से शुरू की थी, जहां से श्यामा प्रसाद मुखर्जी को गिरफ्तार किया गया था। वहीं, 5 अगस्त 2019 में मोदी सरकार ने कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर उनके सपने को साकार किया।
मोदी आर्काइव नाम के सोशल मीडिया एक्स हैंडल से उस दौरान रैली की कुछ फोटो भी शेयर की गई। जिसमें नरेंद्र मोदी के साथ तत्कालीन शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और अन्य नेता दिखाई दे रहे हैं।
इस पोस्ट में बताया गया है कि नरेंद्र मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा की अभियान समिति के अध्यक्ष बनने के बाद अपनी पहली रैली उस स्थान पर की थी, जहां 1953 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी को गिरफ्तार किया गया था। बिना परमिट के विरोध के लिए कश्मीर में प्रवेश करने का प्रयास करने पर मुखर्जी को पठानकोट में हिरासत में लिया गया था और इसी यात्रा के दौरान उनकी रहस्यमयी तरीके से मृत्यु हो गई थी। इस दिन, श्यामा प्रसाद मुखर्जी के ‘बलिदान दिवस’ के अवसर पर नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक को श्रद्धांजलि अर्पित की और बताया कि कैसे उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की एकता के लिए समर्पित कर दिया।
पोस्ट में बताया गया कि साल 2019 में मोदी सरकार ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक भारत के दृष्टिकोण को पूरा किया और जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 को निरस्त कर भाजपा ने उनके वादे को पूरा किया। लेकिन, बहुत कम लोग जानते हैं कि इसके बाद क्या हुआ। कुछ महीने बाद, 1 जनवरी, 2020 को मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायत्तता के अंतिम अवशेषों को खत्म करके और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एकीकृत भारत के सपने को पूरा करके एक और निर्णायक कदम उठाया। सरकार ने औपचारिक रूप से पठानकोट में लखनपुर टोल प्लाजा पर परिचालन बंद कर दिया, एक ऐसा स्थान जो लंबे समय से जम्मू-कश्मीर और शेष भारत के बीच कृत्रिम कानूनी बाधा का प्रतीक था। यह वही स्थान था जहां से 1953 में मुखर्जी को गिरफ्तार किया गया था।
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