मैसूर (कर्नाटक), 11 जुलाई। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने गुरुवार को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि घोटाले में अपनी कथित संलिप्तता पर प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने मैसूर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वह पिछड़े वर्ग से हैं और फिर भी कर्नाटक के दूसरी बार सीएम बन गए।
सीएम ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को राजनीतिक बताते हुए कहा, “हर कोई परेशान है कि मैं पिछड़े वर्ग से होने के बावजूद दूसरी बार मुख्यमंत्री कैसे बन गया। वे मेरे खिलाफ साजिश रच रहे हैं।”
गृहनगर मैसूर में एमयूडीए भूमि घोटाले के खिलाफ भाजपा के विरोध प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “हमने जांच के आदेश दिए हैं। भाजपा इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से ले रही है। हम भी इससे राजनीतिक रूप से निपटेंगे।”
मैसूर में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र के विरोध प्रदर्शन पर पूछे गए सवाल के जवाब में सीएम ने कहा, “भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी ऐसा करने दीजिए। अगर वे ऐसा करते हैं, तो हम भी राजनीतिक रूप से इसका सामना करेंगे। हम यह भी जानते हैं कि इसका राजनीतिक रूप से कैसे मुकाबला किया जा सकता है।”
सीएम सिद्दारमैया ने आगे कहा कि जो लोग आरोप लगाते हैं, उन्हें बताना चाहिए कि अवैध गतिविधियां कहां हुई हैं। मैं इसे वैध बता रहा हूं जबकि वे इसे अवैध बता रहे हैं। उन्हें यह दिखाना और साबित करना होगा। कन्वर्जन से पहले यह कृषि भूमि थी। 2005 में कन्वर्जन हुआ, डीसी ने इसे परिवर्तित किया और मेरा इससे कोई संबंध नहीं है। मल्लिकार्जुन स्वामी मेरे साले हैं और उन्होंने इसे कानूनी रूप से गिफ्ट में दिया है। इसमें गलत क्या है?
सीएम सिद्दारमैया ने कहा, “मान लीजिए कि इसका उल्लेख कृषि भूमि के रूप में किया गया है। हालांकि, इसे एक लेआउट में विकसित किया गया है, तो क्या यह एक बड़ा अपराध है?”
सीएम ने दावा किया, “कन्वर्जन के बाद 2010 तक यह एक कृषि भूमि थी, जब तक कि इसे उपहार में नहीं दिया गया। इसके बाद 2014 में एमयूडीए ने अवैध रूप से इसका अधिग्रहण कर लिया, साइटें बनाईं और वितरित की गईं। क्या मुझे इसे ऐसे ही छोड़ देना चाहिए था? मुआवजा मांगा गया है। साल 2021 में भाजपा सत्ता में थी। आवंटन भाजपा के शासन में हुआ था और अब वे मुद्दा बना रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “इसी तरह के एक मामले में सुंदरम्मा नाम के एक व्यक्ति ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने एमयूडीए पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया और संबंधित अधिकारियों को भूमि देने का निर्देश दिया। अगर यह गलती भाजपा के शासन के दौरान हुई थी, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? जब उनकी सरकार थी, तब सिद्दारमैया कैसे जिम्मेदार थे?”
उन्होंने कहा, “वे मेरे 62 करोड़ रुपये के मुआवजे के दावे को उजागर कर रहे हैं। नियमों के मुताबिक, अब मुआवजे की राशि तीन गुना ज्यादा होनी चाहिए।”
इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता टीजे अब्राहम की ओर से भारतीय निर्वाचन आयोग को की गई शिकायत के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में सीएम ने कहा कि जब भी आयोग स्पष्टीकरण मांगेगा, हम जवाब देने के लिए तैयार हैं।
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