September 25, 2024
Himachal

प्रतिबंध के बावजूद पालमपुर की नदियों में अवैध खनन जारी

पालमपुर, 15 जुलाई हिमाचल प्रदेश सरकार ने मानसून के मौसम को देखते हुए पिछले सप्ताह सभी नदियों और नालों में खनन और उत्खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन पालमपुर क्षेत्र के न्यूगल और मोल खड्डों में यह काम बेरोकटोक जारी है। सरकार ने नदियों में सभी खनन पट्टों को दो महीने या मानसून के मौसम के अंत तक निलंबित कर दिया है।

पालमपुर के निचले इलाकों के विभिन्न भागों के दौरे के दौरान ट्रिब्यून की टीम को बुंडला और आलमपुर के बीच न्यूगल नदी के 30 किलोमीटर क्षेत्र में अधिकारियों की ओर से किसी भी प्रकार की जांच के अभाव में बड़े पैमाने पर अवैध खनन होते हुए देखने को मिला।

कई ग्रामीणों ने ट्रिब्यून को बताया कि खनन, पुलिस और वन विभाग ने इस पर आंखें मूंद ली हैं और अवैध खनन जारी है।

बठन, धीरा, कसियाना मंदिर के निवासियों के अनुसार, वे अवैध खनन के कारण पर्यावरण को हो रहे नुकसान के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने डिप्टी कमिश्नर, एसडीएम, डीएफओ, खनन विभाग और पुलिस को ज्ञापन भी दिया, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ।

उन्होंने आरोप लगाया कि नदी के कई हिस्से, जो पिछले 10 वर्षों से अछूते थे, अब स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से खनन माफिया द्वारा अवैध खनन के लिए खोल दिए गए हैं।

बथान पंचायत प्रधान सीमा देवी और उपप्रधान सतपाल ने कहा कि उन्होंने धर्मशाला में जिला अधिकारियों को लिखित शिकायत दी थी, लेकिन अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

उन्होंने कहा कि जेसीबी मशीनों जैसी भारी मशीनों का उपयोग करके बड़े पैमाने पर पत्थर और रेत निकालने के कारण नदी का स्तर 5 से 7 फीट नीचे चला गया है। उन्होंने कहा कि नदी के किनारे जाने वाले गाँव के रास्ते, स्थानीय जल स्रोत और श्मशान घाटों को लापरवाह और अवैज्ञानिक खनन के कारण भारी नुकसान हुआ है।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि थुरल क्षेत्र में अवैध खनन के खिलाफ चलाए गए अभियान के कारण उन्हें अदालती मामलों का सामना करना पड़ रहा है।

कसीना मंदिर, पानापर, धीरा, आलमपुर और सौरभ वन विहार के पास दिनदहाड़े बड़े पैमाने पर अवैध खनन होता दिखा। दर्जनों ट्रैक्टर-ट्रेलर और टेंपो न्यूगल नदी के किनारों से सामान उठाने में व्यस्त थे। हालांकि खनन और वन विभाग ने कई बार खनन माफिया द्वारा नदी के किनारों तक बनाई गई सड़कों को तोड़ दिया था, लेकिन कुछ ही समय में ये सड़कें फिर से बन जाती थीं। पुलिस और खनन विभाग के बीच तालमेल की कमी ने मामले को और भी बदतर बना दिया है।

प्रशासन और पुलिस, खनन और वन विभाग की कथित उदासीनता के कारण क्षेत्र में अवैध और अवैज्ञानिक खनन फल-फूल रहा है।

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