शिमला, 18 जुलाई हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ में भूजल प्रदूषण के मुद्दे से संबंधित जनहित याचिका में क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय भूजल बोर्ड, राज्य भूजल प्राधिकरण और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जल विज्ञान विभाग, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग और सचिव, पर्यावरण विभाग को पक्षकार बनाया है।
मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट पर गौर करने के बाद यह आदेश पारित किया, जिसमें बोर्ड ने सुझाव दिया था कि भूजल प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उन्हें इस जनहित याचिका में पक्षकार बनाना वांछनीय है।
उन्हें पक्षकार बनाते हुए, न्यायालय ने मुख्य सचिव को उक्त पक्षों के साथ समन्वय स्थापित करने तथा उचित कदम उठाने का निर्देश दिया। न्यायालय ने उन्हें हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए आईआईटी मंडी से अनुरोध करने का भी निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान उप महाधिवक्ता ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ विकास प्राधिकरण का हलफनामा भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। इसमें बताया गया कि उक्त क्षेत्र में भूजल प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए कार्ययोजना तैयार करने के लिए उक्त प्राधिकरण के संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता में 2 जुलाई, 2024 को आयोजित बैठक के विवरण के अनुसार सीईओ, बद्दी इंफ्रा, उन उद्योगों की सूची उपलब्ध कराएंगे जो सीईटीपी, केंदुवाल से जुड़े नहीं हैं। मुख्य पर्यावरण अभियंता, पीसीबी, बद्दी, इन उद्योगों का निरीक्षण करेंगे और सीईटीपी, केंदुवाल से उनका कनेक्शन सुनिश्चित करेंगे।
न्यायालय ने यह आदेश राज्य के औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण संबंधी समस्याओं को उजागर करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। शोध दल द्वारा किए गए एक अध्ययन में भूगर्भीय यूरेनियम और जिंक, लेड, कोबाल्ट, निकल और क्रोमियम जैसे औद्योगिक प्रदूषकों के कारण दूषित भूजल से उत्पन्न होने वाले महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिमों का पता चला। –
कैंसर पैदा करने वाले प्रदूषक पाए गए न्यायालय ने यह आदेश राज्य के औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण संबंधी समस्याओं को उजागर करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। हाल ही में, आईआईटी मंडी की एक शोध टीम ने बद्दी-बरोटीवाला औद्योगिक क्षेत्र के भूजल में कैंसर पैदा करने वाले प्रदूषक पाए हैं।
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