मुरादाबाद, 18 जुलाई । समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के मानसून ऑफर वाले बयान पर सियासत गरमा गई है। अखिलेश यादव के इस ऑफर को लेकर सपा के पूर्व सांसद एसटी हसन का कहना है कि इससे पहले भी वो इस तरह का ऑफर दे चुके हैं। सपा की कोशिश सांप्रदायिकता फैलाने वाले शख्स को प्रदेश के शीर्ष पद से हटाने और धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति को लाने की है।
कावड़ यात्रा के दौरान रेहड़ी ठेले वाले दुकानदारों के नाम सार्वजनिक किये जाने के आदेश को लेकर उन्होंने भाजपा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह समाज को बांटने की दूसरी साजिश है। ऐसा ही एक ट्रेंड जर्मनी में चला था जिसमें एक कम्युनिटी को बॉयकॉट करने का संदेश था। हमें ऐसा लगता है कि हिंदू-मुसलमान कर भाजपा सरकार समाज को बांटना चाहती है।
उन्होंने कहा कि जो कांवड़ वाले होते हैं, उनमें से 5 या 10 फीसदी ऐसे लोग होते हैं, जो मुसलमान से कुछ भी लेना पसंद नहीं करते। आप एक संदेश दे रहे कि मुसलमान की दुकान से कुछ भी खरीदना बंद कर दें। देश में बड़े-बड़े मीट एक्सपोर्टर हैं। अल कबीर के मालिक हिन्दू भाई हैं, अल नूर के मालिक हिन्दू हैं, अरेबियन एक्सपोर्ट के मालिक भी हिन्दू भाई हैं। अगर आज कोई मुसलमान होटल चला रहा है, फल बेच रहा है, दुकान चला रहा है तो इसमें परेशानी किस बात की है। देश को बांटने की कोशिश भाजपा बंद करे। गरीब मुसलमानों को बेरोजगार करना मुनासिब नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि सबका साथ और सबका विकास एक नारा है, ये जमीन पर उतरा नहीं है। सिर्फ नारे लगाकर मुस्लिम वोट भाजपा नहीं ले सकती। इस नारे की जमीनी हकीकत कुछ और है। भाजपा में ऐसे तमाम नेताओं की बड़ी जमात है जो यह चाहते हैं कि सरकारी योजनाओं में मुसलमानों को लाभ नहीं मिले। मेरा मानना है कि बिना मजहब देखे हर गरीब की मदद की जानी चाहिए।
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