नई दिल्ली, 9 अगस्त । वक्फ संशोधन बिल गुरुवार को लोकसभा में पेश किया गया। संसद के अंदर विपक्षी सांसदों के द्वारा जोरदार हंगाम किया गया। वहीं, अब इस बिल को लेकर राजनीतिक व धार्मिक संगठनों के बयान आने लगे हैं। इसी कड़ी में जमीअत उलमा-ए-हिंद का बयान भी सामने आया है।
आईएएनएस से बातचीत के दौरान मुफ़्ती मोहम्मद कासिम ने कहा कि संसद में पेश बिल को लेकर सरकार की मंशा ठीक नहीं है। संसद में इस बिल से पहले भी कई बिल पेश किए गए। किसानों को लेकर बिल भी पेश किया गया। संसद में कहा गया कि किसानों के लिए लाया गया बिल, उन्हें फायदा दिलाएगा। लेकिन सरकार ने किसानों से बात नहीं की। इस बिल के साथ भी ऐसा ही है।
उन्होंने कहा कि सरकार को बिल के संबंध में मुस्लिम संगठनों से बात करनी चाहिए। उनके सुझावों को बिल में शामिल करना चाहिए।
रेलवे व डिफेंस के बाद सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी वक्फ बोर्ड के पास है। पूर्व की सरकारों में वक्फ की जमीनों को लूटा गया। सरकारी इमारतें वक्फ की जमीन पर हैं। जो जमीन कब्जा की गई, उसे वक्फ बोर्ड को वापस दिलाया जाए। दिल्ली में पूर्वजों ने अरबों-खरबों की जमीन वक्फ को दी। लेकिन, उनकी जमीन पर कब्जे हुए। जबकि उस पर अल्पसंख्यक लोगों के लिए अस्पताल, स्कूल और कॉलेज होने चाहिए थे।
बता दें कि जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि आज संसद में जो संशोधन प्रस्तुत किए गए हैं, वे वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं। इससे सरकारी एजेंसियों को अनावश्यक हस्तक्षेप का अवसर मिलेगा। इससे वक्फ की मूल स्थिति और खुदा के स्वामित्व की अवधारणा का हनन होगा।
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