पटना, 11 अगस्त । बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव की दूसरी किताब ‘विकास के प्रतिमान’ का शुक्रवार को लोकार्पण हुआ। इस किताब में 2005 से पहले और बाद के बिहार का वर्णन किया गया है।
इस दौरान बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने कहा कि ‘मैं कोई लेखक नहीं हूं और ये मेरी लिखी हुई किताब नहीं है। मैं 12-13 साल मंत्री रहा, उस दौरान विकास से संबंधित मैंने जो वक्तव्य दिए हैं। उसका संग्रह इस किताब में मिलेगा। इसके संपादक का काम राकेश जी ने किया है। ‘
नंद किशोर यादव ने आगे कहा, ” पुस्तक का हेडलाइन है ‘विकास के प्रतिमान’। ये हेडलाइन अकारण बन गया है। सच में अगर बिहार के विकास के प्रतिमान के रूप में अगर किसी को चिन्हित करना हो तो एकमात्र नाम नीतीश कुमार का है।
उन्होंने बताया कि हमारे पुराने मित्र सुशील कुमार मोदी भी थे। नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी की जोड़ी ने बिहार के विकास को नई ऊंचाई देने का काम किया है और विकास के प्रतिमान कहलाने का अधिकार इन्हीं लोगों को है।
पुस्तक का नाम कैसे पड़ा, इस पर उन्होंने कहा, पहले किताब का नाम विधानसभा में नंद का सुझाव दिया जा रहा था, लेकिन मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक पत्रकार महोदय घूमने के लिए गए। उन्होंने जब गंगा पथ देखा और उन्होंने जब अपनी बात को टेलीविजन पर ‘विकास का प्रतिमान’ कहा, जो हमारे संपादक को पसंद आ गया।
उन्होंने बताया कि 2005 में बिहार में एनडीए की सरकार बनी थी। उस समय नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे और सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री थे। इस पुस्तक में आपको एनडीए की सरकार बनने से पहले बिहार कैसा था और सरकार बनने के बाद बिहार कैसा रहा, उसकी जानकारी मिलेगी।
‘विकास के प्रतिमान’ पुस्तक को पढ़ने के बाद स्पष्ट रूप से लोगों के सामने इंगित हो जाएगा कि पहले बिहार की वस्तु स्थिति कैसी थी?
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