शिमला, 14 अगस्त शिमला नगर निगम जल्द ही राज्य की राजधानी में वेंडिंग और नॉन-वेंडिंग जोन स्थापित करने पर अपनी रिपोर्ट हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में प्रस्तुत करेगा।बचत भवन में महापौर सुरेन्द्र चौहान की अध्यक्षता में आयोजित विशेष जनरल हाउस की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई।
नगर निकाय ने शहर भर में विक्रेताओं की संख्या तथा निगम द्वारा चिन्हित वेंडिंग और नॉन-वेंडिंग क्षेत्रों की संख्या पर चर्चा की।
यह निर्णय लिया गया कि किसी भी रेहड़ी-पटरी वाले या फेरीवाले को दुकानों के बाहर बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। वेंडिंग जोन किसी भी जगह के रेहड़ी-पटरी वालों के लिए खुले रहेंगे और ये केवल शहर और राज्य के लोगों के लिए आरक्षित नहीं होंगे।
महापौर सुरेन्द्र चौहान ने कहा, “वेंडिंग जोन उन क्षेत्रों में चिह्नित किए गए हैं, जहां सड़क किनारे के विक्रेता शांतिपूर्वक अपने उत्पाद बेच सकते हैं, बिना किसी अराजकता के, जैसा कि भीड़भाड़ वाले और सड़क किनारे के क्षेत्रों में होता है।” महापौर ने कहा कि समय-समय पर आयोजित होने वाली निगम की अगली बैठकों में आगे का निर्णय लिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका का संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग का विनियमन) नियम 2016 की धारा 4 के तहत आठ आधिकारिक और 14 गैर-आधिकारिक सदस्यों वाली एक टाउन वेंडिंग कमेटी (टीवीसी) का गठन 27 सितंबर, 2023 को किया गया था। टीवीसी ने दो उप-समितियों का गठन किया था, जिसमें एक सर्वेक्षण समिति भी शामिल थी, जिसका गठन 2 दिसंबर, 2023 को हिमाचल प्रदेश स्ट्रीट वेंडर्स स्कीम, 2017 के खंड 3 के तहत किया गया था। एक अन्य उप-समिति वेंडिंग जोन/नॉन-वेंडिंग जोन पहचान समिति का भी उसी दिन गठन किया गया था।
समिति ने हाल ही में शहर के सभी वार्डों में वेंडिंग और नॉन-वेंडिंग जोन की पहचान करने के लिए एक सर्वेक्षण किया था। निगम ने पूरे शहर में वेंडिंग और नॉन-वेंडिंग जोन चिह्नित किए हैं, जिन्हें इसके साथ पंजीकृत स्ट्रीट वेंडर्स और हॉकर्स को आवंटित किया जाएगा।
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