बेंगलुरु, 18 अगस्त । कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुदा जमीन घोटाला मामले में कार्रवाई की अनुमति दी है। इसे लेकर कांग्रेस ने राज्यपाल को भाजपा की कठपुतली बताया है। रविवार को कांग्रेस नेता प्रियांक खड़गे ने कहा कि कानूनी मामलों को लेकर रणनीति पर चर्चा अदालत में होती है, मीडिया के सामने नहीं। मैं कह सकता हूं कि हमारे पास सर्वश्रेष्ठ संवैधानिक विशेषज्ञ हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामले हैं, जहां राज्यपाल के फैसले पर पूछताछ की गई है, और हम उन सभी मामलों को पेश करेंगे। भाजपा सिर्फ सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल करके ही इस केस को जिंदा रख सकती है। राज्यपाल कार्य नहीं कर रहे हैं, वह उनके हाथ की कठपुतली हैं।
वहीं, शनिवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने भाजपा को टैग करते हुए लिखा कि राज्यपाल बिना किसी रिकॉर्ड, सबूत, जांच के भी, बिना किसी आधार के अनुमति दे देते हैं। मेरे इस्तीफा देने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। गैरकानूनी फैसला लेने वाले राज्यपाल को इस्तीफा दे देना चाहिए।
ज्ञात हो कि, मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुदा) जमीन आवंटन मामले में सीएम के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए एक एक्टिविस्ट ने राज्यपाल से आग्रह किया था। आरटीआई कार्यकर्ता की ओर से दायर शिकायत के आधार पर राज्यपाल ने सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दी है।
उल्लेखनीय है कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुदा) घोटाला मामला करीब पांच हजार करोड़ रुपये का है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। बताया जा रहा है कि उनकी पत्नी पार्वती को मैसूर विकास प्राधिकरण (मुदा) में एक घोटाले में फायदा हुआ था।
विपक्ष का आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी को शहर के एक दूरदराज इलाके में 3.40 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के बदले वैकल्पिक भूखंड दिए गए। उस जमीन की बाजार कीमत उनकी अपनी जमीन से ज्यादा है।
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