पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के फार्म मशीनरी और पावर इंजीनियरिंग विभाग ने फसल अवशेष प्रबंधन योजना 2024-25 के तहत ‘धान की पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण’ नामक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, पंजाब के कृषि अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी और कृषि अभियंता शामिल हुए।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में गुरदासपुर, फतेहगढ़ साहिब और एसएएस नगर जिलों के कुल 21 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
विभागाध्यक्ष एवं पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. महेश कुमार नारंग ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि विभाग राज्य सरकार के अधिकारियों को धान की पराली प्रबंधन तकनीकों का प्रदर्शन कर रहा है, ताकि किसानों में जागरूकता पैदा की जा सके तथा पराली जलाने वाले गांवों को शून्य पराली जलाने वाले गांवों में बदला जा सके।
उन्होंने आगामी सीजन के लिए मशीनों की तैयारी/मरम्मत पर भी जोर दिया।
प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. असीम वर्मा ने कहा कि प्रशिक्षुओं को विभिन्न इन-सीटू और एक्स-सीटू स्ट्रॉ प्रबंधन तकनीकों जैसे हैप्पी सीडर, स्मार्ट सीडर, सुपर सीडर, स्ट्रॉ चॉपर-कम-स्प्रेडर, इनकॉरपोरेशन, सरफेस सीडर, बैलिंग आदि के बारे में जानकारी दी गई।
प्रशिक्षुओं ने अवशेष-प्रबंधित खेतों में खरपतवार और कीट प्रबंधन ज्ञान का भी प्रशिक्षण दिया। बाद में, डॉ. वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान डॉ. एम.के. नारंग, डॉ. मनप्रीत सिंह, डॉ. असीम वर्मा, डॉ. जसवीर सिंह गिल, डॉ. अपूर्व प्रकाश, डॉ. सिमजीत कौर और डॉ. बेअंत सिंह विशेषज्ञ थे। सभी प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण सत्रों और क्षेत्रीय समस्याओं पर संवादात्मक सत्रों में गहरी रुचि दिखाई।
कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षुओं को विभिन्न मशीनों का व्यावहारिक अनुभव भी दिया गया।
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