ऐसा लगता है कि बद्दी में जल प्रदूषण एक आम बात हो गई है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) के कर्मचारियों ने आज भूड़ गांव में रत्ता नदी में औद्योगिक अपशिष्ट गिराते एक ट्रैक्टर-ट्रेलर को पकड़ा।
जहां अपशिष्ट पदार्थ डाले जाते थे, वहां का पानी लाल हो गया। बोर्ड के कर्मचारियों ने पाया कि प्लांट का अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र निष्क्रिय था और अपशिष्ट पदार्थ खुलेआम नाले में बह रहा था।
घटनास्थल से एक ट्रैक्टर-ट्रेलर जब्त किया गया। टीम द्वारा संयंत्र के निकट नाले से लिए गए नदी के पानी तथा अपशिष्टों का नमूना विश्लेषण के लिए प्रयोगशाला भेजा जाएगा।
टीम ने पाया कि अपशिष्ट कथित तौर पर एक बायोफार्मास्युटिकल कंपनी से लाया गया था, जो खेड़ा गांव में एक इकाई में कैटेचू का प्रसंस्करण करती है।
फैक्ट्री उस जगह से 4-5 किलोमीटर दूर स्थित है, जहां पर अपशिष्ट पदार्थ फेंके गए थे। पर्यावरण की परवाह न करते हुए, इस घटना ने एक बार फिर उद्योग की लापरवाही को उजागर किया है। बोर्ड के अधिकारियों ने पुष्टि की कि, “हमारे फील्ड स्टाफ ने हाल ही में प्रदूषण के मामले सामने आने के बाद जल निकायों के आसपास निगरानी बनाए रखी है। कर्मचारियों ने पाया कि एक ट्रेलर रट्टा नदी में अपशिष्ट पदार्थ फेंक रहा था, जिससे पानी लाल हो गया।”
उन्होंने कहा, “खेड़ा गांव में दोषी इकाई लेक्सिकॉन बायोटेक (इंडिया) लिमिटेड को नोटिस जारी किया गया है और जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन करने के लिए इसकी बिजली काटने की सिफारिश सदस्य सचिव से की गई है।” उन्होंने कहा कि संयंत्र की ‘संचालन की सहमति’ समाप्त हो गई है और उसने नवीनीकरण के लिए आवेदन किया है।
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