ग्राम पंचायत वाटर सप्लाई पंप ऑपरेटर एसोसिएशन के सदस्यों ने आज संगरूर-पटियाला रोड पर मुख्यमंत्री भगवंत मान के आवास के पास धरना दिया और राज्य सरकार से उनकी मांगें मानने का आग्रह किया। उन्होंने शहर में विरोध मार्च भी निकाला और मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के खिलाफ नारे लगाए। हालांकि, आज जब जिला प्रशासन ने 27 सितंबर को कैबिनेट सब कमेटी के साथ उनकी बैठक तय की तो उन्होंने अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया।
पंप संचालकों ने बताया कि वे अक्टूबर 2023 से ही विभिन्न धरना-प्रदर्शनों के माध्यम से राज्य सरकार से उनकी दुर्दशा पर ध्यान देने का आग्रह कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने भवानीगढ़ के पास घराचोन गांव में एक वाटरवर्क्स पर विरोध प्रदर्शन किया है और राज्य सरकार के साथ कई बैठकें की हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस वजह से पंप संचालक राज्य सरकार से नाराज हैं।
मांगों में हरियाणा की भांति ग्राम पंचायतों के पंप ऑपरेटरों को निर्धारित वेतन देने, हर पांच साल बाद पंप ऑपरेटरों की छंटनी बंद करने, नहरी जल योजनाओं पर ग्राम पंचायतों के पंप ऑपरेटरों को लगाने, पंप ऑपरेटरों को ग्राम पंचायतों से हटाकर जलदाय विभाग में लगाने, पंप ऑपरेटरों को बकाया वेतन देने, मृतक पंप ऑपरेटरों के परिवारों को मुआवजा व नौकरी देने आदि शामिल हैं।
पंप ऑपरेटर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सुखजीत सिंह ने बताया कि कुल 955 पंप ऑपरेटर्स हैं जो राज्य सरकार से अपनी मांगों पर ध्यान देने का आग्रह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एक साल से उनकी मांगों को अनदेखा कर रही है, उनका मानना है कि राज्य सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि पंप ऑपरेटर्स धरना देने के लिए एकत्र हुए हैं।
उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह ग्राम पंचायतों पर निर्भर हैं, जिसके कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायतें उन्हें 1,200 रुपये से लेकर 5,000 रुपये प्रति माह तक वेतन दे रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कभी-कभी जब वे ग्राम पंचायतों से वेतन मांगते हैं तो उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है। सुखजीत सिंह ने कहा कि अगर राज्य सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वे अपना आंदोलन तेज करेंगे।
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