नई दिल्ली, संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित विदाई समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के सभी राजनीतिक दलों से दलगत राजनीति से उपर उठकर देशवासियों के लिए काम करने का आह्वान करते हुए कहा है कि राजनीतिक प्रक्रियाएं, राजनीतिक दलों के अपने तंत्रों के माध्यम से संचालित होती हैं, लेकिन पार्टियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और ‘राष्ट्र सर्वोपरी’ की भावना से यह विचार करना चाहिए कि देशवासियों के विकास और कल्याण के लिए कौन-कौन से कार्य आवश्यक हैं। उन्होने राष्ट्रपति को लोक सभा और राज्य सभा के साथ संसदीय परिवार का अभिन्न अंग बताते हुए कहा कि जैसे परिवार में मतभेद होते हैं वैसे ही कभी-कभी संसद में भी मतभेद हो सकते हैं, आगे का रास्ता कैसे तय करना है, इस विषय पर विभिन्न राजनीतिक दलों के विचार अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन हम सबकी सर्वोच्च प्राथमिकता देश और देशवासियों के हित में निरंतर काम करते रहने की है।
संसद भवन के सेंट्रल हॉल में अपने सम्मान में आयोजित विदाई समारोह में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला की मौजूदगी में दोनों सदनों के सांसदों को संबोधित करते हुए कोविंद ने महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि देश के नागरिकों को अपनी मांगों के लिए दबाव बनाने का तथा विरोध करने का संवैधानिक अधिकार उपलब्ध है, लेकिन इस अधिकार का प्रयोग हमेशा गांधीवादी तौर-तरीकों के अनुरूप शांतिपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए।
उन्होने देशवासियों के कल्याण और विकास के लिए सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों और सबके प्रयास से केवल 18 महीने में ही 200 करोड़ वैक्सीन लगाने के लक्ष्य को प्राप्त करने जैसी कई उपलब्धियों का जिक्र करते उनके कार्यकाल के दौरान दो अत्यंत महत्वपूर्ण आयोजन – ‘राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती’ और ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के अत्यंत प्रभावशाली आयोजनों के लिए देश की जनता व सरकार को खास तौर से बधाई भी दी। देश की विकास यात्रा का जिक्र करते हुए उन्होने कहा कि ,जब वे जन-सेवक के रूप में अपने और सरकारों के प्रयासों के बारे में सोचते हैं, तो उन्हे यह स्वीकार करना पड़ता है कि समाज के हाशिए पर जीवन-यापन करने वाले लोगों के जीवन-स्तर को बेहतर बनाने के लिए, हालांकि बहुत कुछ किया गया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
उन्होने राष्ट्रपति पद के लिए नव-निर्वाचित, द्रौपदी मुर्मु को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हुए यह उम्मीद भी जताई कि सर्वोच्च संवैधानिक पद पर उनका चुनाव महिला सशक्तीकरण को बढ़ाने के साथ-साथ समाज के संघर्षशील लोगों में महत्वाकांक्षा का संचार करने वाला होगा। उन्होने कहा कि उन्हे पूरा विश्वास है कि द्रौपदी मुर्मु के अनुभव, विवेक और व्यक्तिगत आदर्श से पूरे देश को प्रेरणा मिलेगी और मार्गदर्शन भी मिलगा।
राष्ट्रपति के विदाई समारोह में बोलते हुए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भारत गणराज्य के राष्ट्रपति के रूप में पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान उन्होने इस सर्वोच्च पद की गरिमा और शालीनता को नव-उत्कर्ष प्रदान किया, राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की अधिक भागीदारी, समाज के वंचित वर्गों के लिए अधिक अवसरों के सृजन जैसे विषयों पर निरंतर बल दिया। बिरला ने कहा कि राष्ट्रपति कोविंद को सभी दलों के नेताओं का पूर्ण सहयोग मिला है तथा सभी सदस्य उनको संवैधानिक मूल्यों एवं आदशरें के संरक्षक के रूप में देखते हैं।
आपको बता दें कि, मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म होने जा रहा है। शनिवार शाम को लोक सभा और राज्य सभा के सांसदों ने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित एक समारोह में भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को विदाई दी। विदाई समारोह में उपराष्ट्रपति एवं राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू और लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कोविंद को विदाई संदेश, ‘स्मृति चिन्ह’ और संसद सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित एक ‘ हस्ताक्षर पुस्तिका’ भेंट की। उनके सम्मान में लोक सभा अध्यक्ष ने विदाई भाषण भी दिया।
राष्ट्रपति कोविंद के सम्मान में आयोजित इस विदाई समारोह में नायडू और बिरला के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी सरकार के मंत्री और दोनों सदनों के सत्ता पक्ष एवं विपक्षी दलों के कई सांसद मौजूद रहें।
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