हिमाचल प्रदेश में कथित अनधिकृत मस्जिदों और प्रवासियों के अपर्याप्त सत्यापन को लेकर बहुसंख्यक समुदाय के एक वर्ग द्वारा किए जा रहे विरोध के बीच, राज्य के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सुझाव दिया है कि वक्फ बोर्ड को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाना चाहिए।
बदलाव करने का समय आ गया है समय के साथ हर कानून में बदलाव लाना जरूरी होता है, उसी तरह वक्फ बोर्ड में भी समय के साथ बदलाव की जरूरत है। – विक्रमादित्य सिंह, पीडब्ल्यूडी मंत्री
मंत्री ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, ‘‘समय के साथ हर कानून में बदलाव लाना जरूरी है और इसी तरह वक्फ बोर्ड को भी बदलते समय के साथ सुधार की जरूरत है।’’
अपने सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने द ट्रिब्यून को बताया कि वे बदलते समय के साथ सिर्फ़ वक्फ बोर्ड ही नहीं, बल्कि सभी धार्मिक संस्थाओं में सुधार के प्रबल समर्थक हैं। उन्होंने कहा, “एक निश्चित समय के बाद हर जगह सुधार की ज़रूरत होती है। हिंदू मंदिरों में कई सुधार हुए हैं। दिवंगत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भीमा काली मंदिर ट्रस्ट को सरकार के दायरे में लाया, हालाँकि यह एक निजी ट्रस्ट था।”
उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड में सुधार से इसकी कार्यप्रणाली और अधिक प्रभावी और पारदर्शी होगी। उन्होंने कहा, “सुव्यवस्थित और पारदर्शी वक्फ बोर्ड अपने लोगों के हित में है। बोर्ड के पास देश भर में करीब 9.7 लाख एकड़ जमीन है। इससे बोर्ड को हर साल करीब 2,500 करोड़ रुपये का राजस्व मिलना चाहिए, लेकिन उसे हर साल सिर्फ 150 करोड़ रुपये ही मिल रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि सुधारित वक्फ बोर्ड से राज्य में इस समय व्याप्त सांप्रदायिक तनाव और अशांति को कम करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, “वक्फ बोर्ड के कामकाज को लेकर लोगों में कुछ संदेह और आशंकाएं हैं। अगर इसके कामकाज में पारदर्शिता होगी, तो वास्तव में चिंतित लोगों के बीच संदेह और आशंकाएं दूर हो जाएंगी। और इससे राज्य में लोगों के बीच शांति और सद्भाव को बढ़ावा मिलेगा।”
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