नई दिल्ली, 24 सितंबर । ‘चोरी-चोरी’ के बाद नर्गिस राज कपूर के जीवन से एग्जिट कर चुकी थीं। हिंदी सिने जगत के शो मैन का आत्मविश्वास जार-जार हो चुका था। उन्हें लगता था अब बिना नर्गिस के फिल्म बनाना उनके बूते का नहीं रहा। ऐसे समय में ही उन्हें मॉस्को में मिली हिरोइन ‘पद्मिनी’। जो रूस अपनी बहन संग डांस परफॉर्मेंस देने और रूसी फिल्म में काम करने पहुंची थीं। यहीं पर विभिन्न कार्यक्रमों में दोनों की मुलाकात हुई और आगे चलकर ‘जिस देश में गंगा बहती है बनी’।
‘जिस देश में गंगा बहती है’ बड़े डरते-डरते गढ़ी गई। जागते रहो पिट चुकी थी राज कपूर पोस्ट नर्गिस फेज में सफलता को लेकर आश्वस्त नहीं थे। लेकिन इस फिल्म ने कमाल कर दिया। गानों ने धमाल मचा दिया और पहली बार हिंदी सिनेमा में फीमेल लीड इतनी बोल्ड दिखी। झरने के नीचे काली साड़ी पहनी ‘कम्मो’ ने सबको दीवाना बना दिया। कहा जाता है कि राम तेरी गंगा मैली बनाने का ख्याल भी इस एक सीन ने राज कपूर के दिमाग में बैठा दिया। झरने के नीचे नहाती एक्ट्रेस का ट्रेंड भी संभवतः यहीं से शुरू हुआ। तो पद्मिनी ने किरदार की डिमांड को सिर माथे रखते हुए प्रदर्शन करने से भी गुरेज नहीं किया।
सालों बाद फिल्मफेयर पत्रिका को दिए साक्षात्कार में भी उनसे इसे लेकर सवाल किया गया तो बोलीं, मेरे लिहाज से वो बोल्ड नहीं था आखिर बीहड़ में डकैतों को बीच रहने वाली औरत कैसे रहेगी?
तिरूवन्तपुरम के पूजाप्परा में थंकअप्पन पिल्लई और सरस्वती अम्मा की दूसरी बेटी के रूप में जन्मी (12 जून, 1932) पद्मिनी ने 1948 में फिल्मी जगत में कदम रखा। पहली फिल्म कोई दक्षिणी भारतीय नहीं बल्कि हिंदी थी। नाम था कल्पना। इसमें अपने शास्त्रीय नृत्य से खासी लोकप्रियता हासिल की। साथ में बड़ी बहन ललिता भी थीं। ललिता, पद्मिनी और रागिनी भरतनाट्यम और कथकली में प्रशिक्षित थीं। ‘ट्रावनकोर सिस्टर्स’ की काबिलियत का लोहा दुनिया ने माना।
पद्मिनी ने जितना फिल्मों को जीया उतना ही अपनी निजी जिंदगी को संवारा। सालों इंडस्ट्री में गुजारने के बाद 1961 में अमेरिका में रहने वाले फिजिशयन डॉ के टी रामचंद्रन से शादी कर ली, और फिर फिल्मों को अलविदा कह दिया। वह पति के साथ अमेरिका जाकर बसीं और गृहस्थी पर ध्यान देने लगीं। 1963 में बेटे को जन्म दिया। 1977 में न्यू जर्सी में एक क्लासिकल डांस स्कूल खोला, नाम दिया ‘पद्मिनी स्कूल ऑफ आर्ट्स’। आज इस स्कूल की गिनती अमेरिका के सबसे बड़े क्लासिकल डांस इंस्टिट्यूशन के तौर पर होती है।
इस बेजोड़ अदाकारा की मौत 24 सितंबर 2006 में हुई। चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। वो उस समय भारत आई थीं और 23 सितंबर को तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के सम्मान में आयोजित एक समारोह में अंतिम बार दिखी थीं। हिंदी समेत तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों में काम करने वाली एक्टर के निधन पर करुणानिधि ने कहा था, “मैं नहीं जानता कि मृत्यु ने एक सुंदर और दुर्लभ कलाकार को कैसे निगल लिया? वह सितारों के बीच एक सितारा थीं।”
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