नई दिल्ली, 1 सितंबर । प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिल्ली का विंटर एक्शन प्लान, पुरानी खोखली और बेबुनियाद आधारशिला है। दिल्ली सरकार इसे 10 वर्षों से दोहरा रही है। कांग्रेस ने रविवार को दिल्ली सरकार पर यह हमला करते हुए कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए केंद्र की भाजपा और दिल्ली की केजरीवाल सरकार बराबर जिम्मेदार है।
कांग्रेस ने यह भी पूछा कि क्या आम आदमी पार्टी (आप) के सत्ता में आने के बाद पंजाब में खेती होना बंद हो गई या पराली जलना बंद हो गया।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने बताया कि पिछले वर्ष दिसंबर में डब्ल्यूएचओ ने एक रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली के खतरनाक प्रदूषण में वाहनों से 10-30 प्रतिशत, सड़क व निर्माण से निकले धूल कण से 10-30 प्रतिशत प्रदूषण होता है। औद्योगिक इकाइयों से 10-30 प्रतिशत, खुले में कचरा जलाने से 5-15 प्रतिशत प्रदूषण होता है। नजदीकी शहरों में पावर प्लांट से 7 प्रतिशत से कम, मौसमी धूलकण, जो नजदीकी राज्यों से आते हैं, 5 प्रतिशत से कम, नजदीकी राज्यों से खेती वेस्ट व पराली जलाने से 3 प्रतिशत से कम प्रदूषण होता है।
उन्होंने कहा कि नजदीकी राज्यों से होने वाले प्रदूषण में पंजाब का नाम नहीं लेकर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रदूषण नियंत्रण में अपनी नाकामी को स्वीकार लिया है। जब पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी तब केजरीवाल चीख-चीखकर पंजाब में पराली जलाने को दिल्ली में प्रदूषण का कारण बताते थे। क्या आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद पंजाब में खेती बंद हो गई या पराली जलाना बंद कर दिया गया है, गोपाल राय दिल्ली की जनता को जवाब दें।
उन्होंने कहा कि गोपाल राय अपने नेता अरविंद केजरीवाल से एक भी कदम पीछे नहीं हैं। क्या विधानसभा चुनाव में अपनी हार को स्वीकार कर गोपाल राय प्रदूषण नियंत्रण के विषय को अगली सरकार के पाले में डाल रहे हैं। गोपाल राय कह रहे हैं, राजधानी में प्रदूषण का मसला सबके सहयोग से और मिलकर निपटेगा। वह प्रदूषण सहित जलभराव, दिल्ली की सड़कों की हालत, नालों की बदहाल स्थिति, भयंकर जल संकट, महिलाओं पर अत्याचार, बिजली बिलों में बेलगाम बढ़ोत्तरी जैसे जनता से जुड़े मामलों पर संबंधित मंत्रियों से विचार विमर्श करके तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलाएं।
उनके मुताबिक प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवाज सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही उठा रही है। उन्होंने कहा कि क्यों टैक्स का हजारों करोड़ रुपया खर्च होने के बाद भी दिल्ली सरकार यहां स्वच्छ हवा नहीं दे पा रही है।
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