नई दिल्ली, 30 सितंबर । दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने दीपावली तक राज्य की सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का ऐलान किया है। इस आदेश के बाद राज्य सरकार के सभी मंत्री सड़कों का जायजा लेने के लिए अपनी-अपनी विधानसभा क्षेत्रों के दौरे पर हैं। आईएएनएस ने भी दिल्ली की सड़कों पर उतर कर आम लोगों से राज्य सरकार के इस अभियान के बारे में जाना।
कृष्णा नगर की विधानसभा क्षेत्र के राजेश कुमार भारद्वाज आप विधायक एस.के. बग्गा के कामों से बहुत नाराज हैं। उन्होंने आईएएनएस को बताया, “एसके बग्गा हमारे क्षेत्र से दो बार विधायक का चुनाव जीते हैं। वह गलती से जीत गए। साल 2021 में हम अपने काम लेकर उनके पास गए थे। तब हमने अपने कामों के विषय में 15 जुलाई 2021 को उन्हें एक लेटर दिया था। उन्होंने उस पर कोई काम नहीं किया। इसके बाद 14 मार्च 2024 में हमने उन्हें फिर से क्षेत्र के लोगों से जुड़ा लेटर दिया। इसके बाद 14 मई को लेटर दिया। उन्होंने यह लेटर रिसीव किए, लेकिन एक पैसे का काम नहीं किया।
भारद्वाज ने कहा, “हमारी सड़क पिछले 10 साल से बनी ही नहीं है। बनने की बात छोड़िए, इनको रिपेयर तक नहीं किया गया। सड़क जगह-जगह नीचे धंसी हुई है। उसमें कोई गिर जाए तो गंभीर नुकसान होगा। मुख्यमंत्री कह रही हैं कि मैं जगह-जगह घूमूंगी, लेकिन जो विधायक बने हैं वह घर पर ताला लगाकर पिक्चर देखने गए हैं क्या?
“मैंने जब उनसे इस विषय में बात की तो उन्होंने कहा, ‘तुम्हें बात करने की तमीज नहीं है।’ मुझे ऐसे समझा रहे हैं। मैंने उन्हें जवाब दिया कि मैं तो सिर्फ अपनी शिकायत का स्टेटस पूछने आया था। इस पर वह हम लोगों से लड़ने के लिए तैयार हो गए। वह विधायक बन कैसे गए, यह मुझे समझ में नहीं आ रहा है। वह मानसिक रूप से बीमार हैं, उन्हें आगरा के अस्पताल जाना चाहिए।”
इलाके के अरुण कुमार गोयल कहते हैं, “हम खराब सड़कों की मरम्मत के लिए विधायक के पास बहुत बार जा चुके हैं। बहुत बार आवेदन देने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। हम तो यही चाहते हैं कि हमारी सड़कें जल्दी से जल्दी बन जाए। हम लोग कई बार निगम पार्षद और विधायक से मिल चुके हैं लेकिन कोई काम नहीं हो रहा है।”
कृष्णा नगर निवासी प्रवीन जैन ने भी विधायक की शिथिलता पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पिछले 10 साल से ज्यादा हो गए, इलाके की सड़कें टूटी हुई हैं। सड़कों पर गड्ढे हैं। विधायक ने कोई काम नहीं किया है।”
प्रेम सिंह सागर ने कहा कि विधायक कुछ करते ही नहीं है। वह (विधायक) सिर्फ वादे ही करते हैं। बनी हुई सड़के तोड़ते हैं और काम नहीं करते हैं।
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