नई दिल्ली, दिल्ली हाईकोर्ट ने देशद्रोह के एक मामले में अंतरिम जमानत देने से इनकार करने वाले निचली अदालत के आदेश के खिलाफ शरजील इमाम की अपील पर शुक्रवार को दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा। देशद्रोह का मामला 2019-20 में सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में इमाम द्वारा दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से जुड़ा है।
दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए जस्टिस मुक्ता गुप्ता और अनीश दयाल की डिवीजन बेंच ने आगे की सुनवाई 25 अगस्त तक के लिए टाल दी।
पीठ ने पुलिस से दो सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी।
23 जुलाई को कड़कड़डूमा अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने इमाम की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जो देशद्रोह के आरोप में न्यायिक हिरासत में है।
इमाम ने दिल्ली उच्च न्यायालय से अंतरिम जमानत की अर्जी वापस लेने के बाद निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद इमाम ने हाईकोर्ट का रूख किया था।
अपनी जमानत अर्जी में इमाम ने कहा कि चूंकि शीर्ष अदालत ने देशद्रोह कानून पर रोक लगा दी है, इसलिए जमानत के लिए उनका दावा पुख्ता हो गया है।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, कार्यकर्ता इमाम और उमर खालिद उन लगभग दर्जन लोगों में शामिल हैं, जो कथित तौर पर 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़ी कथित बड़ी साजिश में शामिल हैं।
पुलिस के अनुसार, इमाम और खालिद पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप हैं, जिसने कथित तौर पर हिंसा को बढ़ावा दिया।
फरवरी 2020 में राष्ट्रीय राजधानी में दंगे भड़क उठे थे। सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) और सीएए समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों ने हिंसक रूप ले लिया।
इन दंगों में 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
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