ओलंपिक पदक विजेता और पहलवान से राजनेता बने बजरंग पुनिया, जो अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, कई कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार अभियान में शामिल रहे हैं। पार्टी के स्टार प्रचारक के तौर पर उनकी मांग है। आक्रामक पहलवान से लेकर उग्र कार्यकर्ता और अब राजनेता बने पुनिया ने हिसार में दीपेंद्र देसवाल से बातचीत की । अंश:
विधानसभा चुनावों में किसानों के मुद्दे क्यों महत्वपूर्ण हैं की किसान विरोधी नीतियों के कारण उन्हें पिछले कुछ समय में दो बार आंदोलन करना पड़ा है। किसान उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार उन्हें कृषि संकट से उबारने के लिए कदम उठाएगी। लेकिन भाजपा ने इस संकट को बड़े कॉरपोरेट घरानों के लिए अवसर में बदलने की कोशिश की, जिससे किसान भड़क गए। अब किसान भाजपा को सबक सिखाएंगे। मैंने भी आंदोलन के दौरान किसानों को समर्थन दिया था।
लेकिन किसान प्रचार के दौरान भाजपा उम्मीदवारों का विरोध कर रहे हैं। क्या यह अच्छा रुझान है? किसानों को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने और उम्मीदवारों से अपने मुद्दों पर सवाल पूछने का अधिकार है। कोई भी हिंसक प्रदर्शन नहीं होना चाहिए। किसान भाजपा के खिलाफ इसलिए मुखर हैं क्योंकि उन्हें तकलीफें झेलनी पड़ी हैं।
आप कांग्रेस में क्यों शामिल हुए? पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रियंका गांधी और राहुल गांधी धरना स्थल पर हमसे मिलने आए थे। उन्होंने हमारे आंदोलन को समर्थन दिया। हालांकि, जब भाजपा ने भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के बेटे को लोकसभा चुनाव में टिकट दिया, तो हमें लगा कि अगर हमें ऐसे शक्तिशाली लोगों से मुकाबला करना है और खेलों में व्याप्त गंदगी को साफ करना है, तो हमें भी आगे आना चाहिए। मुझे पूरा भरोसा है कि सत्ता में आने पर कांग्रेस किसानों के मुद्दों को सुलझाएगी। मैं सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थ/कड़ी की भूमिका निभाऊंगा।
लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने हरियाणा में 24 फसलों पर एमएसपी का आश्वासन दिया है।
यह पर्याप्त नहीं है…किसानों को मौजूदा संकट से उबारने के लिए और अधिक किसान हितैषी कदम उठाने की जरूरत है। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में एमएसपी गारंटी समेत कई उपायों का उल्लेख किया है।
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