लाहौल और स्पीति जिले में रोहतांग दर्रे के पास उस जगह से चार सैनिकों के शव बरामद किए गए, जहां भारतीय वायुसेना (आईएएफ) का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। आज चंडीगढ़ के पास पंचकूला जिले के चंडीमंदिर में चार सैनिकों के शवों को ले जाया गया। पर्वतारोहियों की एक टीम ने 25 सितंबर से 10 अक्टूबर तक चल रहे चंद्रभागा पर्वतारोहण अभियान के दौरान शवों को खोजा था।
लाहौल और स्पीति के डिप्टी कमिश्नर राहुल कुमार ने बताया कि शव सड़ी-गली अवस्था में थे, इसलिए शवों का पोस्टमार्टम नहीं किया गया। शवों की यह सफल बरामदगी भारत के सबसे लंबे समय तक चलने वाले तलाशी अभियान में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, जो 7 फरवरी, 1968 को 102 यात्रियों के साथ IAF AN-12 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से जुड़ी है।
भारतीय सेना के डोगरा स्काउट्स ने ट्रांगा माउंटेन रेस्क्यू के साथ मिलकर खोज अभियान का नेतृत्व किया। 2005, 2006, 2013 और 2019 में किए गए पिछले अभियानों में केवल पाँच शव बरामद किए गए थे, लेकिन हाल के अभियान में कुल आठ शव बरामद किए गए, जिनमें तीन पूरी तरह से सुरक्षित शव शामिल हैं।
पहचाने गए सैनिकों में मलखान सिंह, सिपाही नारायण सिंह और शिल्पकार थॉमस चरण शामिल थे। मलखान सिंह की पहचान उसकी जेब से मिले वाउचर से हुई, जबकि नारायण सिंह की पहचान उसकी पेबुक से हुई। नारायण उत्तराखंड के चमोली जिले के थराली के कोलपाडी गांव का रहने वाला था, जबकि चरण केरल के एलंथूर का रहने वाला था।
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