सोलन जिले ने क्षय रोग (टीबी) के उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जहां 48 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा आयोजित जिला स्तरीय टीबी मुक्त पंचायत पुरस्कार समारोह के दौरान अतिरिक्त उपायुक्त अजय यादव ने इस उपलब्धि की घोषणा की।
यादव ने टीबी उन्मूलन अभियान को जन आंदोलन में बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया और पंचायत प्रतिनिधियों से इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने का आग्रह किया, जिसका सुलभ और प्रभावी इलाज है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार टीबी की रोकथाम और उपचार के लिए मुफ्त दवाइयाँ उपलब्ध कराती है और टीबी रोगियों को छह महीने के लिए 500 रुपये का मासिक पोषण भत्ता भी देती है।
भारत सरकार का लक्ष्य 2025 तक पूरे देश से टीबी को खत्म करना है, जबकि हिमाचल प्रदेश ने 2024 तक इसे हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। यादव ने स्थानीय पंचायत नेताओं से जिले को टीबी मुक्त बनाने में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।
48 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित करने का निर्णय विशिष्ट स्वास्थ्य मानदंडों के आधार पर लिया गया। इनमें स्वास्थ्य खंड अर्की की 16, स्वास्थ्य खंड चंडी की तीन, स्वास्थ्य खंड धर्मपुर की दो, स्वास्थ्य खंड नालागढ़ की 16 और स्वास्थ्य खंड सायरी की 11 पंचायतें शामिल हैं। सम्मानित होने वाली पंचायतों में भूमती, चनियाधार दसेरन, डुमैहर, जघून, क्यारर, कोटलू, मान और अन्य शामिल हैं।
कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमित रंजन तलवार, अर्की, नालागढ़, धर्मपुर और चंडी के खंड चिकित्सा अधिकारियों के अलावा विभिन्न पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
यह पहल 2024 तक क्षय रोग उन्मूलन के राज्य के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के बड़े मिशन में योगदान देगा।
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