रोहतक और झज्जर जिलों की आठ विधानसभा सीटों में से छह पर नए चेहरे उतारने की भाजपा की रणनीति पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ में सेंध लगाने में विफल रही।
यह लगातार दूसरी बार है जब भगवा पार्टी इन दोनों जिलों में अपना खाता नहीं खोल पाई। हालांकि, रोहतक सीट पर भाजपा के मनीष कुमार ग्रोवर ने अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस उम्मीदवार भारत भूषण बत्रा को कड़ी टक्कर दी।
ग्रोवर महज 1,341 वोटों के अंतर से चुनावी लड़ाई हार गए। 2019 में ग्रोवर 2,735 वोटों से हारे थे।
रोहतक जिले में भाजपा ने गढ़ी सांपला किलोई, महम और कलानौर (आरक्षित) सीटों से नए चेहरे उतारे। रोहतक जिला परिषद की अध्यक्ष मंजू हुड्डा को कांग्रेस के दिग्गज हुड्डा के खिलाफ मैदान में उतारा गया। उन्हें 37,074 वोट मिले। यह पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को मिले वोटों से 1.72 प्रतिशत कम था।
इसी प्रकार, रोहतक नगर निगम की पूर्व चेयरपर्सन रेणु डाबला ने कलानौर में कांग्रेस की तीन बार की विधायक शकुंतला खटक को तथा महम में भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान दीपक हुड्डा को चुनौती दी।
दीपक का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और उन्हें मात्र 5.97 प्रतिशत वोट मिले। पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीदवार शमशेर खरकड़ा को 25.86 प्रतिशत वोट मिले थे। खरकड़ा की पत्नी राधा अहलावत भी भाजपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरीं। उन्हें कुल वोटों में से 19.54 प्रतिशत वोट मिले, जिससे भगवा पार्टी को बड़ा झटका लगा।
झज्जर जिले में भाजपा ने बहादुरगढ़ से दिनेश कौशिक, बेरी से संजय कबलाना और झज्जर (आरक्षित) से कप्तान सिंह बिरधाना जैसे नए चेहरे मैदान में उतारे, लेकिन वे चुनाव में पार्टी के पिछले प्रदर्शन में सुधार नहीं कर सके।
एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, “रोहतक और झज्जर जिलों में भाजपा के पास ज़्यादातर सीटों पर नए चेहरे उतारने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। इस कदम से पार्टी कैडर को मज़बूत करने के लिए युवा नेताओं की एक टीम तैयार करने में मदद मिलेगी।”
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