नई दिल्ली,13 अक्टूबर । दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने राज्य से एक सरकारी अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों के मामले में उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना पर सवाल खड़े किए हैं।
आप का आरोप है कि दिल्ली सरकार के एक अस्पताल में महिला डॉक्टर का यौन उत्पीड़न करने वाले आरोपी स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
आप की विधायक और दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष राखी बिड़ला ने कहा कि दिल्ली के सरकारी अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ पिछले एक साल से यौन शोषण हो रहा था। वह महिला डॉक्टर लगातार अधिकारियों के संपर्क में थी, स्वास्थ्य सचिव से बार-बार गुहार लगा रही थी, लेकिन किसी भी शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया जा रहा था। न ही मामले में एफआईआर दर्ज हुई। इंटरनल कमेटी ने भी माना है कि उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ है, लेकिन किसी भी प्रकार का कोई एक्शन नहीं लिया गया।
आप नेता ने कहा, “आज हम महिला प्रतिनिधिमंडल लेकर एलजी से मिलने आए थे। हम सिर्फ पांच महिलाएं थीं और हमारी कुछ पार्षद यहां आयी हुई थीं। लेकिन हम से तीन गुना ज्यादा पुलिस बल यहां तैनात किया गया और हमें बाहर डेढ़ घंटे तक खड़ा रखा गया। एलजी कार्यालय का कोई भी अधिकारी हमसे नहीं मिला, जो यह बताता है कि वह महिला सुरक्षा को लेकर गैर-जिम्मेदार हैं और “महिला सम्मान” उनके लिए महज एक शब्द है।
उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं के लिए वक्त की जरूरत नहीं होती। ऐसी घटनाओं के लिए कदम उठाने की जरूरत होती है क्योंकि दिल्ली की आधी आबादी की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर एलजी के अंतर्गत आती है। साथ ही इस घटनाक्रम में अधिकारियों के ऊपर कार्रवाई की जिम्मेदारी एलजी विनय सक्सेना के ही अंतर्गत आती है।
आप प्रवक्ता रीना गुप्ता ने कहा कि पिछले एक साल से दिल्ली की एक मेडिकल सुपरिंटेंडेंट दिल्ली की ही एक लेडी डॉक्टर को प्रताड़ित कर रहे हैं। मामले में एक इंटरनल कमेटी बैठ चुकी है। कमेटी ने मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को दोषी पाया है। इंसाफ यह कहता है कि मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए, लेकिन एलजी ने मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को प्रमोट करके दो और अस्पतालों का एडिशनल चार्ज दे दिया है।
उन्होंने कहा, “आज दिल्ली की विधानसभा उपाध्यक्ष और आप विधायक एलजी से मिलकर उस महिला डॉक्टर का पक्ष रखने आए थे। हम नहीं चाहते कि जिस तरह से कलकत्ता में कांड हुआ है वैसा दिल्ली में भी हो। लेकिन एलजी ने कोई संज्ञान नहीं लिया। वह हम से नहीं मिले और न ही एलजी कार्यालय का कोई भी अधिकारी मिला। एक स्टोनो ने हमारी अर्जी ले ली और हमें वापस भेज दिया गया।”
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