लखनऊ, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की है, ताकि हाथरस कांड जैसी घटनाओं में शव का सम्मानजनक दाह संस्कार हो सके। एसओपी इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष पेश की जाएगी। जस्टिस राजन रॉय और जसप्रीत सिंह की डबल-जज बेंच ने 5 अगस्त को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि इस तरह के दाह संस्कार में शामिल अधिकारियों/कर्मचारियों को इसका सख्ती से पालन करने के लिए संवेदनशील बनाया जाए।
अदालत ने राज्य सरकार को एसओपी को अधिसूचित करने, लागू करने और पुलिस स्टेशनों, अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, जिला मुख्यालयों, तहसीलों और कलेक्ट्रेटों सहित अन्य स्थानों पर व्यापक रूप से प्रचारित करने का निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय ने 1 अक्टूबर, 2020 को हाथरस दुष्कर्म और हत्या मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और राज्य सरकार को इस तरह की घटनाओं के बाद शवों के सम्मानजनक दाह संस्कार के लिए एक एसओपी तैयार करने का निर्देश दिया था।
30 सितंबर, 2020 को हाथरस में जिला प्रशासन ने पीड़िता लड़की के माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध रात के समय शव का अंतिम संस्कार कर दिया था।
अदालत ने कहा था, “राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों को ऐसे शवों के दाह संस्कार में शामिल होने के लिए संवेदनशील बनाया जाना चाहिए और योजना/एसओपी का सख्ती से पालन करने के लिए सलाह दी जानी चाहिए।”
अदालत ने आगे कहा, “योजना/एसओपी का पालन केवल औपचारिकता नहीं होनी चाहिए। भावना सर्वोपरि है, क्योंकि यह मूल्यवान संवैधानिक और मौलिक अधिकारों को छूती है।”
अदालत ने इससे पहले, राज्य सरकार को पीड़ित के परिवार के किसी सदस्य को नौकरी देने और हाथरस के बाहर किसी भी स्थान पर स्थानांतरित करने पर विचार करने की भी सलाह दी थी।
गौरतलब है कि हाथरस जिले के एक गांव में 14 सितंबर, 2020 को चार लोगों ने 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था, जब वह चारा लेने के लिए खेतों में गई थी। उसके साथ मारपीट भी की गई। हालत बिगड़ने पर उसे 28 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया और अगले दिन तड़के उसकी मौत हो गई। इस मामले को लेकर देशभर में आक्रोश रहा और एक बड़ा राजनीतिक विवाद पैदा हुआ था।
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