कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चार दिवसीय राज्य स्तरीय रत्नावली-2024 महोत्सव के तीसरे दिन रविवार को सांस्कृतिक उत्सव जारी रहा।
तीसरे दिन मुख्य अतिथि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन भारत भूषण भारती ने कहा कि केयूके रत्नावली ने हरियाणा की लोक भाषा और वेशभूषा को लोकप्रिय बनाया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र के रूप में अपने छात्र जीवन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने शिक्षकों से औपचारिक और व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया और युवाओं से डॉ. अंबेडकर और स्वामी विवेकानंद जैसे महान विचारकों की जीवनी से सीखने की अपील की।
भारती ने कहा कि युवा लड़के-लड़कियों को परंपरा और विरासत के माध्यम से अपने कौशल विकसित करते हुए और उद्यमी बनते देखना उत्साहजनक है। रत्नावली ने हरियाणा की लोक विरासत, संस्कृति, सभ्यता, भाषा, गीत, वेशभूषा को दूसरों के साथ साझा करने का संकेत दिया।
श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के कुलपति प्रोफेसर करतार सिंह धीमान ने सभागार परिसर में प्रदर्शनी के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया और उनकी प्रशंसा की। केयूके के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि सभी आयोजन समितियों के प्रभावी प्रबंधन से महोत्सव का कुशलतापूर्वक आयोजन किया जा रहा है।
प्रथम सत्र का मुख्य कार्यक्रम हरियाणवी चौपाल था, जिसमें हरियाणा की ग्रामीण संस्कृति की जीवंतता को दर्शाया गया तथा ग्रामीण जीवन के महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को विचार, हास्य व व्यंग्य के माध्यम से उजागर किया गया। इसके अतिरिक्त, तीसरे दिन समूह नृत्य रसिया, संगीत संध्या, हरियाणवी लोक वाद्य, समूह गान हरियाणवी, कविता, सांग, ऑन द स्पॉट चित्रकला प्रतियोगिताएं तथा हरियाणवी प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन किया गया।
इस बीच, छात्रों के कुछ समूह पुराने दिनों के संगीत और नाटक को जीवित रखने के लिए जुनून से काम कर रहे हैं, पेशेवर कारणों से नहीं, बल्कि संवेदनशील दृष्टिकोण को जीवित रखने के लिए। वे सांग के अपने प्रदर्शन से बुजुर्ग आगंतुकों को बांधे रखते हैं।
करनाल से आये 70 वर्षीय पर्यटक गजे सिंह ने कहा, “हम इन युवाओं को सांग को उसके मूल स्वरूप में प्रस्तुत करते देख कर आश्चर्यचकित हैं, बिल्कुल पुराने दिनों के कलाकारों की तरह!”
कार्यक्रम के निर्णायक डॉ. कृष्ण कुमार ने छात्रों की प्रशंसा करते हुए कहा, “हालांकि वे जानते हैं कि वे इस कला से अपना जीवनयापन नहीं कर सकते, लेकिन वे इसे जीवित रखने के लिए समर्पित हैं। कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं में उनके प्रदर्शन की गुंजाइश सीमित है, लेकिन वे एक बड़े उद्देश्य की पूर्ति कर रहे हैं। वे वरिष्ठ नागरिकों का मनोरंजन कर रहे हैं, जिन्हें सांग देखने का मौका बहुत कम मिलता है और वे युवाओं के बीच इस कला को जीवित रख रहे हैं।”
केयू में प्रदर्शन कर रही छात्रा सृष्टि ने कहा, “हर समाज को अपने सुचारू संचालन के लिए संवेदनशील लोगों की आवश्यकता होती है और सांग में लोगों के दिलों में संवेदनशील दृष्टिकोण को जीवित रखने की अपार क्षमता है। आधुनिक संचार माध्यमों से यह संभव नहीं हो सकता।”
Leave feedback about this