हिमाचल प्रदेश की स्थानीय निधि लेखा समिति के अध्यक्ष संजय रत्न के नेतृत्व में तथा सदस्य सतपाल सत्ती, केवल सिंह पठानिया और विवेक शर्मा के साथ मिलकर सिरमौर जिले में गिरि नदी पर रेणुका जी बांध परियोजना का गहन निरीक्षण किया गया। दो दिवसीय दौरे में नाहन के विधायक अजय सोलंकी भी शामिल थे तथा यह हिमाचल प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की सेवा करने की क्षमता के कारण राष्ट्रीय परियोजना के रूप में नामित इस प्रमुख परियोजना से जुड़ी प्रगति का मूल्यांकन करने और उससे जुड़े मुद्दों को हल करने के प्रयासों का हिस्सा था।
निरीक्षण में रेणुका जी और परशुराम मंदिरों सहित प्रमुख धार्मिक स्थलों का दौरा शामिल था, जहाँ समिति ने स्थानीय अनुष्ठानों में भाग लिया और रेणुका झील के सांस्कृतिक महत्व को स्वीकार किया। इसके बाद समिति ने रेणुका जी बांध पर ध्यान केंद्रित किया, जो एक महत्वपूर्ण भंडारण परियोजना है जिसकी नियोजित ऊंचाई 148 मीटर है और 24 किलोमीटर लंबा जलाशय जिसकी क्षमता लगभग 498 मिलियन क्यूबिक मीटर है।
पेयजल का एक महत्वपूर्ण स्रोत, यह बांध दिल्ली की लगभग 40 प्रतिशत जल आवश्यकताओं की आपूर्ति करेगा तथा प्रतिवर्ष लगभग 200 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन करेगा, जिसमें से 40 मेगावाट क्षमता हिमाचल प्रदेश को आवंटित की गई है, जिससे स्थानीय ऊर्जा आपूर्ति को प्रत्यक्ष लाभ होगा।
इस बांध से पर्याप्त सामाजिक-आर्थिक अवसर पैदा होने, 13 मिलियन से अधिक श्रम दिवस सृजित होने और निर्माण के दौरान और उसके बाद स्थानीय रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, 160 करोड़ रुपये की जलग्रहण क्षेत्र उपचार योजना का उद्देश्य पर्यावरणीय प्रभावों को कम करना और पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण का समर्थन करना है।
इस परियोजना से पर्यावरण अनुकूल बुनियादी ढांचे के माध्यम से रेणुका झील के आसपास पर्यटन को आकर्षित करने की उम्मीद है, जिसके बारे में अधिकारियों ने समिति के दौरे के दौरान चर्चा की थी।
दौरे का समापन एक बैठक के साथ हुआ जिसमें अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक योगेश रोल्टा और उप-विभागीय मजिस्ट्रेट राजीव सांख्यान ने भाग लिया, जिसमें बांध के समय पर पूरा होने के लिए आवश्यक रसद, सुरक्षा और प्रशासनिक उपायों पर जोर दिया गया।
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