बेंगलुरु, 4 नवंबर । कर्नाटक सरकार ने पशु प्रेमियों के सुझावों को स्वीकार करते हुए पतंग उड़ाने के लिए धातु या कांच से बने मांझे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि मनुष्यों, पक्षियों और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोका जा सके।
राज्य सरकार ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम (ईपीए), 1986 की धारा 5 के तहत अपनी अधिसूचना में संशोधन जारी किया है, जिसके तहत अब पतंग उड़ाने के लिए केवल सूती धागे का ही उपयोग किया जा सकेगा। यह धागा किसी भी तेज धार वाले धातु, कांच या चिपकाऊ पदार्थ या धागे को मजबूत करने वाली किसी भी अन्य सामग्री से मुक्त होगा।
बयान के अनुसार, प्रतिबंध पहले केवल नायलॉन चाइनीज मांझे तक सीमित था, अब इसमें कांच या धातु पाउडर से लिपटे धागे को भी शामिल किया गया है।
चंडीगढ़, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना और त्रिपुरा सरकारों की ओर से पहले भी इसी तरह के निर्देशों वाली अधिसूचनाएं जारी की जा चुकी हैं।
पेटा से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, कर्नाटक सरकार की ओर से यह संशोधन पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया की अपील के बाद किया गया है, जिसमें मांझे की वजह से होने वाली पक्षियों और मनुष्यों की मौतों पर ध्यान देने की बात कही गई है।
पेटा इंडिया के वरिष्ठ एडवोकेसी अधिकारी फरहत उल ऐन ने कहा, “हम नायलॉन मांझे के अलावा कांच और धातु से मजबूत पतंग के मांझे से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिए कर्नाटक सरकार की सराहना करते हैं।”
अधिकारी ने कहा, “यह निर्णायक कार्रवाई अनगिनत मनुष्यों और जानवरों को बचाएगी। हर कोई सादे सूती पतंग धागों या मनोरंजन के अन्य साधनों का चयन करके इन विनाशकारी चोटों और दुखद मौतों को रोकने में मदद कर सकता है।”
मांझा, अपने सभी रूपों में मनुष्यों, पक्षियों, अन्य जानवरों और पर्यावरण को खतरे में डालता है। नायलॉन या सूती धागे से बने धारदार धागे, जिन्हें अक्सर कांच या धातु के पाउडर से मजबूत किया जाता है, अक्सर मनुष्यों और पक्षियों को घायल करते हैं तथा मार देते हैं।
इस साल पूरे देश में अनेक मौतें हुई थीं। महाराष्ट्र में 21 वर्षीय एक व्यक्ति, गुजरात में चार लोग, मध्य प्रदेश में एक युवा लड़का तथा राजस्थान में 12 वर्षीय एक लड़के की घातक धागे से गर्दन कटने से मौत हो गई थी।
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