November 22, 2024
National

दिल्ली के छात्रों ने की ‘पीएम विद्यालक्ष्मी’ योजना की तारीफ, कहा- गरीब छात्रों को होगा लाभ

नई दिल्ली, 7 नवंबर । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पढ़ाई करने वाले छात्रों ने ‘पीएम विद्यालक्ष्मी’ योजना का स्वागत किया। छात्रों ने कहा कि इस योजना से अब गरीब वंचित छात्रों को आसानी से लाभ मिल सकेगा।

छात्रा आयुषी सिंह ने बताया कि मैंने पीएम मोदी द्वारा शुरू की गई ‘पीएम विद्यालक्ष्मी’ योजना के बारे में पढ़ा। इस योजना के तहत जितनी भी लड़कियां हैं और जिन्हें पढ़ाई का मौका नहीं मिल पाता है या उनके घर में पैसे की कमी है, तो इस योजना के माध्यम से गरीब परिवार के लोग अपनी बेटियों को पढ़ा पढ़ाएंगे। साथ ही बेटियों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

उन्होंने आगे कहा, “इस योजना के जरिए छात्रों को बहुत सारे अवसर और करियर ऑप्शन भी मिलेंगे, इससे वह लोगों की बराबरी कर सकेंगे। इस योजना के तहत 7.5 लाख रुपये दिए जाएंगे, जो छात्रों के लिए काफी अहम है। इससे पहले भी बहुत सारी सरकार आई है, जिन्होंने काम तो किया है, मगर इस लेवल पर नहीं सोचा। अगर यह सरकार कुछ सोच रही है तो बहुत बड़ी बात है।”

छात्र साहेब आलम ने कहा, “‘पीएम विद्यालक्ष्मी’ योजना के तहत गरीब बच्चों को बहुत सहायता मिलेगा, जिन बच्चों के माता-पिता पैसे नहीं दे पाते, यह योजना उन बच्चों के लिए एक अच्छा मौका है। वह अपनी शिक्षा को हासिल कर सकते हैं। बहुत से ऐसे लोग हैं, जो पैसों की कमी के कारण अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाते हैं। सरकार ने इस योजना के माध्यम से उनका विशेष ध्यान रखा है।”

पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 3600 करोड़ रुपये की पीएम विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी दी गई है। इसके तहत हायर एजुकेशन के लिए 7.5 लाख रुपये तक के लोन पर केंद्र सरकार 75 प्रत‍िशत क्रेडिट गारंटी देगी। इस स्कीम से देश के 860 हायर एजुकेशन सेंटर्स में पढ़ने वाले 22 लाख स्टूडेंट्स को फायदा होगा।

छात्र हिमांग द्विवेदी ने कहा, “‘पीएम विद्यालक्ष्मी’ योजना के लागू होने से देश में गरीब छात्र आसानी से पढ़ाई कर पाएंगे। इस योजना के तहत भारत सरकार साढ़े सात लाख रुपये की मदद करेगी और लोन के लिए जो प्रावधान किया गया है, उससे वह उच्च शिक्षा को हासिल कर पाएंगे। साथ ही उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।”

उन्होंने आगे कहा, “प्राइवेट संस्थानों में फीस अधिक लगती है, इस वजह से लोग पढ़ाई नहीं कर पाते और सरकारी संस्थान में भी उच्च व्यवस्था है, लेकिन सीटें अधिक नहीं होने की वजह से उन्हें पढ़ाई से वंचित रहना पड़ता है।”

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