November 25, 2024
Haryana

पीजीआईएमएस के विशेषज्ञों का कहना है कि मधुमेह रोगियों के लिए नियमित आंखों की जांच जरूरी है

पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान ने लोगों को डायबिटिक रेटिनोपैथी के बारे में जागरूक करने के लिए एक जागरूकता सत्र का आयोजन किया।

पीजीआईएमएस के नए ओपीडी परिसर में बुधवार को पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई। यूएचएस की कुलपति प्रोफेसर (डॉ) अनीता सक्सेना मुख्य अतिथि थीं, जबकि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ एचके अग्रवाल, पीजीआईएमएस के निदेशक डॉ एसएस लोहचब और चिकित्सा अधीक्षक डॉ कुंदन मित्तल मुख्य अतिथि थे।

इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सक्सेना ने कहा, “अगर मौजूदा स्थिति की बात करें तो देश में 10 करोड़ से ज़्यादा लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। सिर्फ़ वयस्क ही नहीं, बल्कि बच्चे भी तेज़ी से इसके शिकार बन रहे हैं।”

रजिस्ट्रार ने आगाह किया कि अनियंत्रित मधुमेह गुर्दे, तंत्रिकाओं, हृदय और आंखों को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा, “मधुमेह रेटिनोपैथी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, क्योंकि लोगों में इसके बारे में जानकारी और जागरूकता की कमी है। मरीजों को मधुमेह रेटिनोपैथी के बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है।”

पीजीआईएमएस निदेशक ने कहा कि डायबिटिक रेटिनोपैथी एक विकार है, जिसका यदि समय पर इलाज न किया जाए तो अंधेपन की स्थिति पैदा हो सकती है।

चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि डॉक्टरों को मरीजों को रोग के बारे में विस्तार से बताना चाहिए तथा उन्हें नियमित जांच की आवश्यकता के बारे में जागरूक करना चाहिए।

क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान के अध्यक्ष डॉ. आरएस चौहान ने कहा कि मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी, जो बहुत गंभीर है और जिससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है, को समय पर निदान और उपचार से काफी हद तक रोका जा सकता है।

पीजीआईएमएस में डायबिटिक रेटिनोपैथी यूनिट की प्रभारी डॉ. मनीषा नाडा ने बताया कि डायबिटिक रेटिनोपैथी के अधिकांश मामले प्रारंभिक अवस्था में लक्षणहीन होते हैं।

उन्होंने कहा, “जब तक रेटिना की नियमित जांच नहीं की जाती, तब तक इस बीमारी का पता नहीं चलता। इसीलिए इसे दृष्टि का मूक चोर भी कहा जाता है। शुगर के मरीजों में डायबिटिक रेटिनोपैथी की संभावना समय के साथ बढ़ती जाती है। डायबिटिक रेटिनोपैथी रेटिना में मौजूद रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती है और वयस्कों में अंधेपन का मुख्य कारण है।”

डॉ. जितेंदर फोगट ने बताया कि पीजीआईएमएस में गुरुवार को डायबिटिक रेटिनोपैथी पर विशेष क्लीनिक चलाया जा रहा है। डॉ. उर्मिल चावला, डॉ. अशोक राठी, डॉ. सोनम गिल और विजन एक्सपर्ट रमेश हुड्डा ने जागरूकता मार्च भी निकाला।

मधुमेह रेटिनोपैथी के लक्षण आँखों के सामने छोटी-छोटी काली परछाइयाँ घूमती रहती हैंदृष्टि का धुंधला होना आँखों के आगे अचानक अंधेरा छा जाना
रात्रि दृष्टि में समस्या रंगों को समझने में कठिनाई\ अंधापन चश्मे के नंबर में बार-बार बदलाव

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