नई दिल्ली, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अनिल आर दवे, डॉ एसवाई कुरैशी और भास्कर गांगुली के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) ने विश्व फुटबॉल संघ फीफा की शासी निकाय द्वारा अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) पर प्रतिबंध लगाने के बाद निराशा जताई है। फीफा की महासचिव फातमा समौरा ने कहा, “फीफा ने सर्वसम्मति से तीसरे पक्ष के अनुचित प्रभाव के कारण अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का फैसला किया है, जो फीफा के नियमों का गंभीर उल्लंघन है।”
सीओए के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अनिल दवे ने कहा, “फीफा के ऐसे निर्देश को देखना दुर्भाग्यपूर्ण है, जब भारतीय फुटबॉल को सही रास्ते पर लाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस स्थिति का सही समाधान खोजने के लिए फीफा सहित सभी हितधारकों के साथ हम लगातार बातचीत कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “निलंबन का आदेश फीफा द्वारा पारित किए जाना वास्तव में निराशाजनक है कि लगभग पिछले दो वर्षों से, निकाय पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और अवैध तरीके से जारी रहा। जब माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित किया तो इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं, सीओए और खेल मंत्रालय माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के कार्यान्वयन के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे थे।”
सीओए के सदस्य डॉ एसवाई कुरैशी ने कहा, “फीफा का हालिया निलंबन हम सभी के लिए एक आश्चर्य की बात है, खासकर जब से हमें पहले से ही पारस्परिक रूप से स्वीकृत शर्तें मिल गई हैं। इसके अलावा, एक सामान्य निकाय का चुनाव करने के लिए लोकतांत्रिक चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है। हालांकि, हमें उम्मीद है कि जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।”
भारत के पूर्व कप्तान और सीओए के तीसरे सदस्य, भास्कर गांगुली ने कहा, “जब सीओए द्वारा राष्ट्रीय खेल की भावना के अनुसार, खेल में वास्तव में रुचि रखने वाले खिलाड़ियों को उचित महत्व देने के लिए एक ईमानदार प्रयास किया जा रहा था, तो निलंबन का आदेश दिया गया है।”
सीओए ने हाल के मामलों पर आश्चर्य और निराशा व्यक्त की है।
सीओए ने मंगलवार को एक बयान में कहा, “सीओए हैरान है कि फीफा का फैसला तब आया है जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार फीफा-एएफसी, एआईएफएफ, सीओए और खेल मंत्रालय सहित सभी हितधारकों के बीच पिछले कुछ दिनों से व्यापक चर्चा चल रही थी। जबकि सीओए 3 अगस्त, 2022 को पारित एआईएफएफ के चुनाव के संबंध में माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध था।”
उन्होंने आगे कहा, “पिछले कुछ दिनों में फीफा-एएफसी, एआईएफएफ, सीओए और खेल मंत्रालय के बीच हुई चर्चा में, यह सुझाव दिया गया था कि एआईएफएफ कार्यकारी समिति के वर्तमान चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज के साथ आयोजित किए जा सकते हैं जिसमें 36 राज्य प्रतिनिधि शामिल हैं।”
सीओए ने कहा है कि फीफा ने खेल मंत्रालय के माध्यम से यह भी सुझाव दिया था कि चुनाव आयोग में छह प्रतिष्ठित खिलाड़ियों सहित 23 सदस्य हो सकते हैं।
पत्र में कहा गया है, “हमारे साथ साझा किए गए मसौदे के अनुसार, मौजूदा 36 सदस्य संघ से एआईएफएफ कांग्रेस में अतिरिक्त 36 प्रख्यात खिलाड़ी होंगे। हालांकि हम मानते हैं कि खिलाड़ियों की आवाज सुनने की जरूरत है, हम भी यह विचार रखते हैं कि एआईएफएफ के मौजूदा सदस्यों के महत्व को कम नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, हम भारतीय खेल संहिता की आवश्यकताओं को समझते हैं और एआईएफएफ को एआईएफएफ कार्यकारी समिति में 25 प्रतिशत से अधिक खिलाड़ियों की उपस्थिति में लाने की सिफारिश की है।”
ह्यह्यसीओए ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, एक स्वतंत्र समिति के तहत एआईएफएफ चुनाव कराने के लिए सभी व्यवस्थाएं कीं, जिसमें प्रतिष्ठित और अत्यधिक प्रतिष्ठित चुनाव अधिकारी शामिल हैं। यह भी, अगस्त के फीफा पत्र के अनुरूप है।
इस प्रकार मौजूदा स्थिति में सर्वोत्तम संभव समाधान खोजने के लिए सभी हितधारकों के बीच चल रही चचार्ओं के बीच भारतीय फुटबॉल पर निलंबन के विश्व निकाय के फैसले से सीओए हैरान है। तथ्य यह है कि फीफा के 15 अगस्त, 2022 के पत्र में कहा गया है कि भारतीय फुटबॉल को 14 अगस्त, 2022 से निलंबित किया जा रहा है। इसके बाद 15 अगस्त को विश्व निकाय और भारत में सभी हितधारकों के बीच चर्चा जोरों पर थी।
निलंबन हटाने के लिए एआईएफएफ को कुछ कदम उठाने होंगे
विश्व फुटबॉल संस्था फीफा ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को तीसरे पक्ष की दखलंदाजी के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। हालांकि फीफा ने भारतीय फुटबॉल पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की बात कही है। फीफा का मानना है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति, जिसका भारतीय फुटबॉल को चलाने में दखल होगा, तीसरे पक्ष का दखल है। फीफा इस बात से खुश नहीं है कि प्रशासकों की समिति ने पूर्व खिलाड़ियों को वोटिंग के अधिकार दिए हैं। यह भारतीय फुटबॉल को प्रतिबंधित करने का तत्काल कारण हो सकता है।
तीसरे पक्ष के दखल पर फीफा ने कहा, ‘‘यह एक आदर्श विचार नहीं होगा कि इलेक्ट्रोल कॉलेज में राज्य संघों के प्रतिनिधियों की तरह बराबर संख्या में प्रख्यात खिलाड़ी हों। प्रशासकों की समिति द्वारा उच्चतम न्यायालय में जमा कराये ड्राफ्ट संविधान के अनुसार 36 राज्यों के प्रतिनिधि और सम्पूर्ण भारत से 36 प्रख्यात खिलाड़ी होंगे-24 पुरुष और 12 महिला। विश्व संस्था को कार्यकारी समिति में 25 फीसदी पूर्व खिलाड़ियों के सदस्यों के रूप में होने पर कोई आपत्ति नहीं है।’’
फीफा परिषद के ब्यूरो ने फैसला किया है कि निलंबन को हटाना निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने पर निर्भर करेगा और उसने प्रतिबंध को हटाने के लिए कई उपाए सुझाये हैं।
एआईएफएफ के संविधान को फीफा और एएफसी की जरूरतों के अनुसार संशोधित किया जाए और इसे एआईएफएफ की आम सभा द्वारा किसी तीसरे पक्ष के दखल के बिना मंजूर किया जाए।
एआईएफएफ अपनी आगामी चुनाव प्रक्रिया को संवैधानिक जरूरत के अनुसार करे और अपने चुनाव को एआईएफएफ के मौजूदा सदस्यता ढांचे के अनुसार करे।
प्रशासकों की समिति के जनादेश को पूरी तरह निरस्त किया जाए।
एआईएफएफ प्रशासन अपने रोजाना के मामलों के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हो।
एक स्वतंत्र चुनाव समिति का चयन एआईएफएफ आम सभा द्वारा किया जाए जो नई कार्यकारी समिति के चुनावों को आयोजित करे।
संयोग से बुधवार एआईएफएफ अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने की अंतिम तारीख है। साथ ही बुधवार को मौजूदा मामले पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई भी है।
इससे पहले फीफा ने कहा था कि उसकी परिषद ने एआईएफएफ को निलंबित करने का सर्वसम्मति से फैसला किया है जिसका मतलब है कि भारत में अक्टूबर में होने वाले फीफा अंडर 17 महिला विश्व कप की मेजबानी करना संभव नहीं हो पायेगा।
विश्व संस्था ने कहा कि वह अंडर 17 विश्व कप के मुद्दे का आकलन कर रहा है और उसे उम्मीद है कि भारत में खेल मंत्रालय के साथ उसकी बातचीत का सकारात्मक हल निकल आएगा।
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