जिला अदालत ने आज हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड को संजौली मस्जिद कमेटी के गठन के संबंध में 22 नवंबर को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने बोर्ड से संजौली मस्जिद कमेटी का ब्यौरा मांगा था और यह स्पष्ट करने को कहा था कि ऐसी कोई कमेटी है या नहीं।
ऑल हिमाचल मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता विश्व भूषण ने सुनवाई के दौरान कहा कि सलीम और मुहम्मद लतीफ कभी भी संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष नहीं रहे और वे वक्फ अधिनियम की धारा 18 के तहत अधिकृत नहीं थे और उन्हें नगर आयुक्त की अदालत में पेश होने का कोई अधिकार नहीं था और साथ ही उन्हें मस्जिद की तीन मंजिलों को गिराने की पेशकश करने का भी कोई अधिकार नहीं था।
उन्होंने कहा कि कमिश्नर कोर्ट ने दोनों से यह नहीं पूछा कि वे किस हैसियत से उसके सामने पेश हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “संजौली मस्जिद कमेटी नहीं है और कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को यह भी स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि वक्फ अधिनियम के तहत ऐसी कोई कमेटी गठित की गई है या नहीं।”
अधिवक्ता ने कहा, “हमने जिला न्यायालय से अपील की है कि वह कमिश्नर कोर्ट के फैसले की समीक्षा करे और मामले में आगे निर्णय लेने के लिए केवल मस्जिद समिति के अधिकृत सदस्यों की बात सुने।” मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को होनी है।
5 अक्टूबर को कमिश्नर कोर्ट ने संजौली मस्जिद कमेटी और हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड को पांच मंजिला मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को गिराने का निर्देश दिया था, लेकिन ऑल हिमाचल मुस्लिम संगठन ने इस फैसले को जिला अदालत में चुनौती दी थी। हालांकि, मामले की सुनवाई के दौरान जिला अदालत ने कमिश्नर कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग करने वाली संगठन की याचिका को खारिज कर दिया था।
वर्ष 2010 से कमिश्नर कोर्ट में चल रहा यह मामला तब सुर्खियों में आया जब एक विशेष समुदाय के कई लोगों ने मलयाणा क्षेत्र में एक स्थानीय व्यक्ति पर हमला कर दिया, जो बाद में संजौली में मस्जिद को गिराने की मांग का उत्प्रेरक बन गया।
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